ईपीएफओ को आईएल एंड एफएस बॉन्ड में किया निवेश डूबने का डर

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नई दिल्ली. रिटायरमेंट फंडों द्वारा आईएल एंड एफएस बॉन्ड में किया गया निवेश असुरक्षित कर्ज है। सरकार इसकी गारंटी नहीं ले सकती है। वित्त मंत्रालय के यह साफ करने के बाद ईपीएफओ और अन्य निजी पीएफ ट्रस्टों को बॉन्ड में लगी पीएफ राशि के डूबने का डर सता रहा है। ईपीएफओ ने इसकी सुरक्षा के लिए वित्त मंत्रालय और कंपनी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर मदद की अपील की है। सेंट्रल प्रोविडेंट फंड कमिश्नर सुनील बर्थवाल ने यह जानकारी दी।

  1. बर्थवाल ने कहा, ईपीएफओ का इस बॉन्ड में निवेश बहुत कम है। आईएल एंड एफएस ने ब्याज या मूलधन के भुगतान में अब तक चूक नहीं की है। हमें यह देखना होगा कि जब आगे हमारा ब्याज ड्यू होगा, तब क्या स्थिति बनती है।

  2. सूत्रों के मुताबिक ईपीएफओ ने इस बॉन्ड में 570 करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है। यह राशि ईपीएफओ के कुल 8 लाख करोड़ रुपए के फंड के मुकाबले 0.1% से भी कम है। दूसरी तरफ, 15 लाख कर्मचारियों की पीएफ राशि को मैनेज करने वाले प्राइवेट प्रोविडेंट फंडों ने आईएल एंड एफएस बॉन्ड में हजारों करोड़ रुपए निवेश कर रखे हैं।

  3. सरकारी और निजी क्षेत्र की 1,500 से ज्यादा कंपनियां ऐसी हैं जिन्हें कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड को ईपीएफओ के पास जमा करने से छूट प्राप्त है। उन्हें अपना पीएफ ट्रस्ट बनाकर संचालित करने की अनुमति है। इनमें सरकारी बिजली बोर्ड, पीएसयू और बैंकों के पीएफ ट्रस्ट शामिल हैं।

  4. एमएमटीसी, आईओसी, हुडको, एसबीआई, आईडीबीआई जैसे पीएसयू और निजी क्षेत्र की एचयूएल और एशियन पेंट्स जैसी कंपनियां अपने खुद के पीएफ ट्रस्ट संचालित कर रही हैं। इन्होंने आईएल एंड एफएस बॉन्ड में निवेश की रकम डूबने की आशंका को देखते हुए दिवालिया कोर्ट एनसीएलएटी में दखल के लिए आवेदन कर रखा है।

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      प्रतीकात्मक तस्वीर।

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