सीबीआई की अवमानना याचिका की सुनवाई से पीछे हटे जस्टिस एल. नागेश्वर राव

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नई दिल्ली. शारदा मामले में सीबीआई की अवमानना याचिका पर बुधवार को सुनवाई नहीं हो सकी, क्योंकि जस्टिस एल. नागेश्वर राव ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया। उनका कहना था कि शारदा मामले में वह सरकार की तरफ से बतौर वकील पैरवी कर चुके हैं। लिहाजा उनके लिए इसकी सुनवाई करना ठीक नहीं रहेगा। मामले की सुनवाई 27 फरवरी तक टाल दी गई है।

  1. शारदा मामले की सुनवाई अभी तक चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच कर रही थी। इसमें जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल थे। अब इस मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन किया जाएगा। राव की जगह किसी और जस्टिस को नई बेंच में शामिल किया जाएगा।

  2. पं. बंगाल के तीनों अफसरों के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। एजेंसी का तर्क था कि तीनों ने कोर्ट के फैसले में रुकावट डालने की कोशिश की। कोर्ट ने तीनों से जवाब तलब किया था।

  3. पं. बंगाल के मुख्य सचिव मलय कुमार डे, डीजीपी वीरेंद्र कुमार और कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार ने 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके कहा है कि उन्होंने शारदा मामले की जांच को प्रभावित नहीं किया। तीनों अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी भी मांगी है।

  4. तीनों अफसरों ने अपने हलफनामे में कहा कि ममता बनर्जी के धरना मंच पर कोई भी पुलिस अफसर नहीं गया था। उनका कहना है कि बताए गए समय पर पुलिस अफसर वर्दी में मौजूद नहीं रहे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि तीन फरवरी को बगैर किसी दस्तावेज के सीबीआई के अफसर पुलिस कमिश्नर के घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे।

  5. राजीव कुमार ने कहा कि आखिर तीन फरवरी को ही शारदा मामले में जांच का फैसला क्यों लिया गया। उनका कहना था कि तीन फरवरी सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर एल नागेश्वर राव का आखिरी दिन था। चार फरवरी को नए निदेशक को सीबीआई का कार्यभार संभालना था।

  6. राजीव का सवाल था कि अहम मामले में जांच के लिए नए निदेशक का इंतजार क्यों नहीं किया गया। राजीव ने इसे साजिश करार देते हुए कहा कि एक साल के अंतराल के बाद उन्हें शारदा मामले में नोटिस दिया गया था। उनका कहना था कि सीबीआई ने इस मामले में कोलकाता हाईकोर्ट के निर्देशों की भी अवहेलना की।

  7. राजीव कुमार का कहना था कि शारदा मामले से जुड़ा कोई भी साक्ष्य सीधे तौर पर उनकी निगरानी में नहीं था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी कि राजीव कुमार साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश में थे।

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