लाइफस्टाइल डेस्क. पुराने की तुलना में नया पेड़ ज्यादा और बेहतर तरीके से कॉर्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करता है। अभी तक माना जाता था कि पुराना पेड़ ज्यादा CO2 अवशोषित करता है। बरमिंगघम यूनिवसिर्टी की रिसर्च के मुताबिक, 140 साल से कम पुराने पेड़ पृथ्वी पर वातावरण में मौजूद 50 फीसदी से अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड अवशोषित करने के लिए जिम्मेदार हैं।शोधकर्ताओं का कहना है कि भूमध्य रेखा के आसपास मौजूद घने उष्णकटिबन्धीय जंगल जैसे अमेजन और कॉन्गो बमुश्किल ही ऐसी गैसों को अवशोषित कर पाते हैं।
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शोधकर्ताओं के मुताबिक, नए पेड़ पुराने के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड अवशोषित करता है। ये पेड़-पौधे ज्यादातर ऐसी जगहों पर होते हैं जहां इन्हें बार-बार उगाया जाता है जैसे खेत।
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रिसर्च का लक्ष्य है कि कैसे वातावरण में बढ़ रही कार्बन डाई ऑक्साइड के स्तर को कम किया जाए और क्या विकसित हो रहे जंगल भविष्य में गैस को अवशोषित कर पाएंगे।
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शोधकर्ता डॉ. पुघ का कहना है कि जब भी कहीं पेड़ पौधों को लगाने की बात की जाती है तो लक्ष्य कार्बन डाई ऑक्साइड गैस को कम करना होता है। क्योंकि जंगल एक तय मात्रा से अधिक गैस को एब्जाॅर्ब नहीं कर पाते हैं।
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शोधकर्ताओं ने इसे समझने के लिए 2001 से 2010 तक दुनिया के कई पुराने जंगलों का अध्ययन किया है। उन्होंने पाया कि गैस को अवशोषित करने में उपजाऊ जमीन का कोई रोल नहीं होता यह निर्भर करता है कि पेड़ कितना पुराना है।
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नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, गैस के अवशोषण और पेड़ों की उम्र का सीधा सम्बंध मध्य और ऊंचाई वाली अक्षांशीय जंगलों में देखा गया है। इनमें युनाइटेड स्टेट नेशनल फॉरेस्ट, कनाडा का बोरियल फॉरेस्ट समेत रशिया और यूरोप के जंगल शामिल हैं।
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शोधकर्ताओं के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन की शुरुआत 30 करोड़ 7 लाख साल पहले ही हो गई थी। जिसके कारण आज भी कई प्रजाति इससे प्रभावित हैं। जलवायु परिवर्तन भूमध्य रेखा के आसपास मौजूद वर्षा वनों के सूखने का कारण बना था। वर्षा वन के तहत बांस, कॉफी, कोको और औषधियों से जुड़े पेड़ आते हैं।