नई दिल्ली.दिल्ली में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक शख्स को अमेरिकी महिला के साथ दुष्कर्म मामले में दोषी करार दिया। संयुक्त राष्ट्र की कर्मचारी महिला से जून 2013 में मकान मालिक के बेटे रमेश पंवार ने उस समय डिजिटल दुष्कर्म किया था जब वह पति के साथ सो रही थी। डिजिटल दुष्कर्म गोपनीय अंग से हाथ से छेड़छाड़ को कहा जाता है।
अतिरिक्त सेशंस जज इला रावत ने कहा कि आरोपी ने जो हरकत की थी उसे 3 फरवरी 2003 में ही आईपीसी की धारा 375 में बदलाव कर दुष्कर्म की तरह माना गया। ऐसे में आरोपी को दुष्कर्म का दोषी करार दिया जाता है। जज ने फॉरेंसिक रिपोर्ट में दुष्कर्म की बात नहीं आने के संबंध में कहा कि मौजूदा मामला डिजिटल दुष्कर्म का है, ऐसे में फॉरेंसिक रिपोर्ट के नतीजे का बहुत महत्व नहीं है। बचाव पक्ष की इसे आधार बनाने की दलील नामंजूर कर दी। जज ने कहा कि इस घटना के बाद पीड़ित महिला की शादी भी टूट गई, जिसके बाद वह अमेरिका से केवल इस मामले में बयान दर्ज कराने आई है, ऐसे में कुछ विसंगतियों के बाद भी उनके बयान को खारिज नहीं किया जा सकता।
पीड़ित महिला और एक रूसी महिला ने मकान मालिक के बेटे पर 24 जून 2013 को तड़के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उस समय दोनों सो रही थीं। अमेरिकी महिला का कहना है कि घटना के दिन 4 से 4.30 के करीब उन्हें महसूस हुआ कि कोई उनके साथ डिजिटल रेप की कोशिश कर रहा है। उनके जागने पर युवक भाग गया। शिकायत पर उसी दिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पंवार ने खुद को निर्दोष बताते हुए आरोप लगाया था कि दंपती उन्हें समय पर किराया नहीं देता था व उसे फंसाया जा रहा है। रूसी महिला के इस मामले में कोर्ट में पेश नहीं होने के कारण आरोप साबित नहीं हो सका।
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