नेशनल डेस्क, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में मंगलवार को सीबीआई के पूर्व अंतरिम प्रमुख एम नागेश्वर राव को अदालत की कार्यवाही चलने तक दिनभर वहां बैठे रहने की सजा सुनाई गई। वे विजिटर्स गैलरी में बैठे। उन्होंने लंच भी नहीं किया। दरअसल, शीर्ष अदालत ने बिहार शेल्टर होम मामले की जांच के लिए सीबीआई अफसर एके शर्मा को नियुक्त किया था और राव ने उनका ही तबादला कर दिया था। इस पर कोर्ट ने राव के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था। राव की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सोमवार को हलफनामा दायर करके अदालत से माफी मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने राव को बुधवार को खुद पेश होने के लिए कहा।
चीफ जस्टिस : नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का पता था, तभी उन्होंने कानूनी विभाग से राय मांगी और कानूनी सलाहकार ने कहा था कि एके शर्मा का ट्रांसफर करने से पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर इजाजत मांगी जाए, लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया?
अटॉर्नी जनरल : राव ने गलती स्वीकारी है उन्होंने माफी मांगी है।
चीफ जस्टिस : संतुष्ट हुए बगैर और कोर्ट से पूछे बगैर अधिकारी के रिलीव ऑर्डर पर दस्तखत करते हैं यह अवमानना नहीं तो क्या है? राव ने आरके शर्मा को जांच से हटाने का फैसला लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देने की जरूरत तक नहीं समझी। उनका रवैया रहा है कि मुझे जो करना था कर दिया।
अटॉर्नी जनरल : माई लार्ड, प्लीज इनको (राव) माफ कर दीजिए।
चीफ जस्टिस (अटॉर्नी जनरल से पूछा) : अगर हम नागेश्वर राव को दोषी करार देते हैं, तो क्या आप सजा को लेकर जिरह करेंगे?
अटॉर्नी जनरल : जब तक कोर्ट यह तय न कर ले कि नागेश्वर राव ने यह जानबूझकर कर किया है, उन्हें दोषी करार नहीं दिया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस : अगर हम राव की माफी स्वीकार भी कर लेते हैं तो भी इनका करियर रिकॉर्ड दागदार रहेगा, क्योंकि इन्होंने अदालत की अवमानना की है और यह इन्होंने खुद स्वीकार किया है। यह बहुत गंभीर मामला है।
अटॉर्नी जनरल : मी लॉर्ड, इंसान गलतियों का पुतला है। राव को माफ कर दीजिए।
चीफ जस्टिस : अपने 20 साल के करियर में किसी को अवमानना मामले में सजा नहीं सुनाई, लेकिन यह मामला अलग है।
अटॉर्नी जनरल : नागेश्वर राव के 32 साल के करियर का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। कोर्ट को उन पर दया दिखानी चाहिए।
चीफ जस्टिस : नागेश्वर राव को अवमानना का दोषी करार दिया जाता है। उन्हें कोर्ट की कार्यवाही चलने तक अदालत में बैठे रहने की सजा सुनाई जाती है। साथ ही उन पर एक लाख रुपए जुर्माना लगाया जाता है। यह रकम एक सप्ताह में जमा करानी होगी।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला क्या है?
पिछले साल मुजफ्फरपुर और पटना के शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण की बात सामने आई थी। 28 मई, 2018 को एफआईआर दर्ज हुई। 31 मई को शेल्टर होम से 46 नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया गया। इस मामले में शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर, पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री मंजू ठाकुर समेत 11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। मामले की जांच सीबीआई कर रही है। हाल ही में 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए केस पटना से दिल्ली के साकेत पास्को कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।
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