नई दिल्ली. सोशल मीडिया के मामले में सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज (सीएएससी) ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। उसने मांग की है कि आम चुनाव को देखते हुए वॉट्सऐप, फेसबुक और दूसरी सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नियम बनाए जाने चाहिए।
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सीएएसी ने चुनाव आयोग से पूछा है कि सोशल मीडिया पर चुनावों से जुड़े विज्ञापनों की जांच क्यों नहीं होनी चाहिए। उसका कहना है कि अगर चुनाव आयोग इस मामले में एक्शन नहीं लेगा तो वह मामला कोर्ट में ले जाएगा।
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लोकसभा चुनावों में फेसबुक के जरिए होने वाली विदेशी दखलंदाजी को रोकने और अपने प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन में और ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए फेसबुक अगले महीने ट्रांसपेरेंसी टूल लॉन्च करेगा। फेसबुक पर चुनावी विज्ञापन दिखाने के लिए विज्ञापनदाता को वेरिफिकेशन कराना जरूरी है, ताकि फेसबुक लोगों को चुनावी विज्ञापन से जुड़ी सारी जानकारी दे सके।
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फेसबुक के सिविक मैनेजमेंट में प्रोडक्ट मैनेजमेंट के डायरेक्टर समिध चक्रवर्ती ने पिछले दिनों बताया था कि चुनावी विज्ञापन के लिए ऑनलाइन लाइब्रेरी बनाई जाएगी जिसे 7 साल तक एक्सेस किया जाएगा। उन्होंने बताया कि, इस लाइब्रेरी में चुनावी विज्ञापन के बजट और विज्ञापनदाता की जानकारी के अलावा उम्र, जेंडर और लोकेशन के आधार पर विज्ञापन को कितने लोगों ने देखा, इस बारे में जानकारी दी जाएगी।