लाइफस्टाइल डेस्क. प्रपोज डे के बाद आज है चॉकलेट डे तो चलिए अब मुंह मीठा कर लेते हैं। वैलेंटाइन वीक में मुंह मीठा कराने के लिए चॉकलेट की क्यों देते हैं यह बहुत कम लोग ही जानते हैं। चॉकलेट एक तरह की मूड बूस्टर है। एक रिसर्च के मुताबिक, डार्क चॉकलेट तनाव कम करने के साथ दिल के लिए फायदेमंद है और जवां भी रखती है यानी उम्र के असर को कम करती है। एक सर्वे के मुताबिक, दूसरे डेजर्ट के मुकाबले भारतीयों डॉर्क चॉकलेट काफी पसंद है। चॉकलेट डे के मौके पर जानते हैं क्यों है ये इतनी खास…
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- एक शोध में यह पाया गया कि पुरुषों की तुलना में भारतीय महिलाएं 25 फीसदी ज्यादा चॉकलेट उत्पाद ऑनलाइन मंगाती हैं। अध्ययन के अनुसार ऑनलाइन सभी मिठाइयों में से आधे से ज्यादा चॉकलेट की बनी होती हैं।
- वास्तव में इस प्लेटफार्म पर प्रमुख मांग वाली 60 फीसदी मिठाइयां चॉकलेट पर आधारित हैं। एक अन्य तथ्य के अनुसार इसमें 18-24 आयु वर्ग वाले लोग ज्यादा चॉकलेट उत्पादों को ऑनलाइन मंगाते हैं।
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- अपने शुरुआती दौर में चॉकलेट का टेस्ट तीखा हुआ करता था। ककाउ के बीजों को फर्मेंट करके रोस्ट किया जाता था और इसके बाद इसे पीसा जाता था। इसके बाद इसमें पानी, वनीला, शहद, मिर्च और दूसरे मसाले डालकर इसे झागयुक्त पेय बनाया जाता था।
- उस समय ये शाही पेय हुआ करता था। लेकिन चॉकलेट को मिठास यूरोप पहुंचकर मिली। यूरोप में सबसे पहले स्पेन में चॉकलेट पहुंची थी। स्पेन का खोजी हर्नेन्डो कोर्टेस एजटेक के राजा मान्तेजुमा के दरबार में पहुंचा था जहां उसने पहली बार चॉकलेट को पेश किया।
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- चॉकलेट का इतिहास लगभग 4000 साल पुराना है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि चॉकलेट बनाने वाला कोको पेड़ अमेरिका के जंगलों में सबसे पहले पाया गया था। हालांकि, अब अफ्रीका में दुनिया के 70% कोको की पूर्ति अकेले की जाती है।
- कहा जाता है चॉकलेट की शुरुआत मैक्सिको और मध्य अमेरिका के लोगों ने की था। 1528 में स्पेन ने मैक्सिको को अपने कब्जे में लिया पर जब राजा वापस स्पेन गया तो वो अपने साथ कोको के बीज और सामग्री ले गया। जल्द ही ये वहां के लोगों को पसंद आ गया और अमीर लोगों का पसंदीदा पेय बन गया।
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