17 महीने बाद रेपो रेट में 0.25% की कमी, सभी तरह के लोन सस्ते होने की उम्मीद

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मुंबई. आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25% की कमी की है। यह दर 6.50% से घटाकर 6.25% कर दी गई है। आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद गुरुवार को ब्याज दर का ऐलान किया। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को ब्याज देता है। इसमें कमी से लोन सस्ते होने की उम्मीद बढ़ गई है। यह बैंकों पर निर्भर करेगा कि वो रेपो रेट में कमी का फायदा ग्राहकों को कितना और कब तक देते हैं। बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट अश्विनी राणा के मुताबिक रेपो रेट में कमी से एफडी की दरों पर कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।

ऑटो लोन।

आगे भी ब्याज दर में कमी की उम्मीद
आरबीई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) के सभी 6 सदस्यों ने ब्याज दरों पर आउटलुक सख्त (कैलिब्रेटेडटाइटनिंग) से न्यूट्रल करने के पक्ष में वोट दिया। यानि आगे भी ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश बनी रहेगी।एमपीसी की अगली बैठक 2-4 अप्रैल को होगी।

आरबीआई ने मार्च तिमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान घटाकर 2.8% कर दिया है। अगले वित्त वर्ष (2019-20) की पहली छमाही में महंगाई दर 3.2 से 3.4% रहने की उम्मीद जताई है। अगले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में महंगाई दर 3.9% रहने का अनुमान जारी किया है। आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष (2019-20) में जीडीपी ग्रोथ 7.4% रहने की उम्मीद जताई है। दिसंबर की समीक्षा बैठक में 7.5% का अनुमान जारी किया था।

आरबीआई के अन्य फैसले

  • किसानों के लिए कॉलेटरल फ्री एग्रीकल्चर लोन की लिमिट 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.6 लाख रुपए की गई।
  • बल्क डिपॉजिट के मायने बदलते हुए आरबीआई ने इसे 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए कर दिया है। यानि अब 2 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा की रकम जमा करवाने पर उसे बल्क डिपॉजिट माना जाएगा।
  • कॉरपोरेट डेट मार्केट में विदेशी निवेशकों (एफपीआई) के लिए पाबंदिया खत्म कर दी गई हैं।

नए गवर्नर की पहली पॉलिसी समीक्षा

यह मौद्रिक नीति इस वित्त वर्ष की छठी और आखिरी द्विमासिक समीक्षा है। नए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में यह पहली समीक्षा है। उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफा देने के बाद दास ने दिसंबर 2018 में पद संभाला था।

अगस्त 2018 में लगातार दूसरी बार बढ़ी थी रेपो रेट
आरबीआई ने 1 अगस्त 2018 को रेपो रेट में 0.25% इजाफा कर 6.50% कर दी थी। इससे पहले जून 2018 की समीक्षा बैठक में 6% से बढ़ाकर 6.25% की गई थी। आरबीआई ने उस वक्त महंगाई बढ़ने की आशंका की वजह से ब्याज दर में इजाफा किया था।

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all eyes on RBI MPC outcome expected to change stance from calibrated tightening to neutral


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