लाइफस्टाइल डेस्क. भारतीय मूल की ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिक प्रो. वीना सहजवाला ने कपड़ों को बिल्डिंग टाइल्स में तब्दील करने की तकनीक विकसित की है। प्रो. वीना के मुताबिक, यह पृथ्वी से कचरा कम करने की एक पहल है। इसके तहत बेकार कपड़ों से डेकोरेटिव ग्लास पैनल और हाईग्रेड वुड-प्लास्टिक पैनल बनाए जा रहे हैं। ये इंटीरियर को निखारने का काम करते हैं।
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प्रो. वीना ने एक माइक्रो फैक्ट्री विकसित की है। इसकी मदद से ई-वेस्ट को कमर्शियल प्रोडक्ट में बदला जाता है। फैक्ट्री में ऐसी ही एक टीम बनाई है जो कपड़ों को बिल्डिंग मटेरियल में बदलने का काम करती है। सिडनी की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ वेल्स में बतौर शोधकर्ता काम कर रहीं वीना का कहना है कि तैयार होने वाले प्रोडक्ट को खूबसूरत दिखाने के लिए इसे सिरेमिक फिनिशिंग दी गई है।
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कई छोटी मशीनों को मिलाकर ई-वेस्ट माइक्रो फैक्ट्री तैयार की जाती है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से लेकर दूसरी चीजों को पहले तोड़ा जाता है। इसके कचरे में से अलग-अलग मटेरियल के हिस्से छांटे जाते हैं। इन हिस्सों से छोटी-छोटी चीजें बनाई जाती हैं, जैसे प्लास्टिक का इस्तेमाल 3डी प्रिंटिंग में किया जाता है। इसी तरह लकड़ी, प्लास्टिक और कपड़ों का इस्तेमाल बिल्डिंग में लगने वाले सामान को बनाने में किया जाता है।
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प्रो. वीना का कहना है हम वर्तमान में कबाड़ को कम करने की कोशिश रहे हैं। साथ ही बिल्डिंग की नींव भरने में इसका प्रयोग कैसे कर सकते हैं, इस पर रिसर्च कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि आज कचरे की समस्या से हर देश जूझ रहा है।
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फैशन इंडस्ट्री इस समस्या में काफी हद तक मदद कर सकती है। प्रो. वीना के मुताबिक, क्लोदिंग और टेक्सटाइल इंडस्ट्री सबसे ज्यादा पॉल्यूशन फैलाने वाला सेक्टर है। दुनियाभर में 10 फीसदी कार्बन का उत्सर्जन इस क्षेत्र से ही होता है।