अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को नोटिस, सीबीआई अंतरिम चीफ की नियुक्ति पर किए थे ट्वीट

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नई दिल्ली. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ केंद्र और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की अवमानना याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। अदालत ने भूषण को इस मामले में नोटिस भेजकर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है। प्रशांत भूषण ने ट्वीट किएथे कि केंद्र और अटॉर्नी जनरल ने सीबीआई में अंतरिम चीफ की नियुक्ति में अदालत को भ्रमित किया। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम यह देखेंगे कि कोई व्यक्ति या वकील किसी विचाराधीन मामले में जज या अदालत की आलोचना कर सकता है, या नहीं।

प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में कहा था कि सीबीआई में अंतरिम चीफ की नियुक्ति के मामले में ऐसा लगता है कि सरकार ने शीर्ष अदालत को भ्रमित किया। हो सता है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की बैठक में हुई बातों की जानकारी भी गलत दी गई हो।

आजकल टीवी पर बयान देना ट्रेंड बना- कोर्ट
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच ने कहा- हम इस मामले का परीक्षण करेंगे कि कोई व्यक्ति विचाराधीन मामले में जनता की राय को प्रभावित करने के लिए अदालत की आलोचना कर सकता है या नहीं, जिससे न्याय की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। आजकल यह ट्रेंड बन गया है कि विचाराधीन मामलों में मीडिया और टीवी डिबेट के दौरान बयान दिए जाते हैं।

“हम मीडिया रिपोर्टिंग के खिलाफ नहीं”
बेंच ने कहा- हम अदालती मामलों की मीडिया रिपोर्टिंग के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विचाराधीन मामलों में वकीलों को जनता के बीच बयान देने से खुद को रोकना चाहिए। आजादी जिम्मेदारी के साथ आती है और न्यायपालिका को आम राय से बचाने की जरूरत है। यह मामला बेहद अहम है कि क्या विचाराधीन मामले में कोई भी व्यक्ति जनभावना को प्रभावित करने के लिए कोर्ट की आलोचना कर सकता है या नहीं। इस मामले में गहराई से सुनवाई की जरूरत है। अब 7 मार्च को इस मामले की सुनवाई की जाएगी।

इस पर अब रोक लगनी चाहिए- अटॉर्नी जनरल
केके वेणुगोपाल शुरुआत से ही यह कह रहे थे कि सीबीआई के अंतरिम चीफ की नियुक्ति को चुनौती देने के मामले में भूषण ने जनता के बीच बयान दिया कि सरकार ने कथित तौर पर अदालत को भ्रमित किया और जाली दस्तावेज पेश किए। यह मुझे प्रभावित करता है, क्योंकि वह दस्तावेज अदालत के सामने पेश करने वाला मैं था। वह जनता के बीच जाकर यह नहीं कह सकते कि यह दस्तावेज फर्जी थे। मैं बस इतना चाहता हूं कि इस पर रोक लगनी चाहिए। यह एक विचाराधीन मामला है। कोई भी विचाराधीन मामले में बयान नहीं दे सकता। मैं अपने साथी भूषण के लिए सजा नहीं चाहता, लेकिन मैं चाहता हूं कि यह खत्म हो।

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Will examine if lawyers can criticise court, judge in pending case: SC

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