नई दिल्ली. सबरीमाला मंदिर का प्रबंधन करने वाला त्रावणकोर देवासम बोर्ड अपने फैसले से पीछे हट गया है। उसने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 54 पुनर्विचार याचिकाओं समेत 64 अर्जियां लगाई गई हैं। बुधवार को इन पर चीफ जस्टिस की अगुआई वाली संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।
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याचिकाकर्ताओं में से एक नायर सर्विस सोसायटी (एनएसएस) के वकील के. परासरन ने कोर्ट से कहा कि सबरीमाला की परंपरा को छुआछूत के बराबर नहीं रखा जा सकता है, यह सिर्फ एक धार्मिक रिवाज है। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।
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उधर, केरल सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार का विरोध किया। उसके वकील जयदीप गुप्ता ने कोर्ट से कहा कि आपके सामने ऐसे तथ्य नहीं रखे गए हैं जो पुनर्विचार को न्यायसंगत साबित करें।
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इस मामले में फैसले पर पुनर्विचार कर रही संविधान पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा, जस्टिस आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदू मल्होत्रा शामिल हैं।
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पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील परासरन ने कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘संविधान का अनुच्छेद 15 कहता है कि देश के सभी धर्मनिरपेक्ष संस्थानों के दरवाजे सभी के लिए खोले जाने चाहिए, लेकिन यह धार्मिक संस्थानों के लिए नहीं है।’’
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शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर को 4:1 से फैसला देते हुए सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश की करीब 800 साल पुरानी परंपरा खत्म करने का आदेश दिया था। यह फैसला तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने दिया था।
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कोर्ट के फैसले के बाद कनकदुर्गा (39) ने महिला साथी बिंदु (40) के साथ 2 जनवरी को भगवान अयप्पा के दर्शन कर 800 साल पुरानी प्रथा को तोड़ा था। दोनों ने मंदिर में पूजा अर्चना भी की थी। इसके बाद पूरे राज्य में प्रदर्शन भड़क गए थे। वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रवेश करने वाली पहली महिला थीं।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 10-50 उम्र की 51 महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करके भगवान अयप्पा के दर्शन किए। केरल सरकार ने हलफनामा दाखिल करके चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि मंदिर में प्रवेश करने वाली 10-50 उम्र की सभी महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है।हालांकि, सरकार के इस हलफनामा पर सवाल उठे थे। सरकार की लिस्ट में कुछ पुरुषों के और 50 से अधिक उम्र वाली महिलाओं के नाम भी शामिल थे।