नई दिल्ली. यमुना की स्थित पर अध्ययन के लिए बनाए गए पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नदी को बचाने के लिए फिल्म और टीवी कलाकारों की मदद लेनी होगी। एनजीटी को दी रिपोर्ट में कहा गया है कि यमुना में जहरीले तत्व बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इन पर रोक लगाने के लिए जरूरी है कि दिल्ली-एनसीआर में गुजरात के सूरत की तर्ज पर मूर्ति विसर्जन के लिए योजना बनाई जाए।
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एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस एके गोयल को दी रिपोर्ट में कहा गया है कि फिल्म और टीवी स्टार्स के जरिए लोगों को बताया जाए कि वे मिट्टी की ऐसी मूर्तियों का इस्तेमाल करें, जिन पर पेंट न हो। टीवी और रेडियो पर योजनाबद्ध तरीके से जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है।
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पैनल ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि कलाकारों के जरिए लोगों को बताया जाना चाहिए कि यमुना बहुत तेजी से जहरीली होती जा रही है। यमुना की सफाई को लेकर जुलाई में गठित किए गए पैनल में दिल्ली की चीफ सेक्रेट्री रही शैलजा चंद्रा और बीएस सजावन शामिल हैं।
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अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा है कि सरकार को कृत्रिम तालाब तैयार करने चाहिए। इन जगहों पर ही मूर्ति विसर्जन का काम होना चाहिए। पैनल ने यह भी सलाह दी है कि सरकार सुनिश्चित करे कि विसर्जन के लिए लाई मूर्ति तीन फीट से ज्यादा लंबी नहीं होनी चाहिए।
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पैनल ने गुजरात के सूरत में स्थित ताप्ती नदी में मूर्ति विसर्जन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। लोगों पर नजर रखने के लिए सरकार ने सूरत में चार हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। वहां आठ हजार पुलिस के जवान, 3250 होमगार्ड, स्टेट रिजर्व पुलिस की आठ कंपनियों के साथ बीएसएफ और आरएएफ के जवान लोगों को नदी में मूर्तियां प्रवाहित करने से रोक रहे हैं।
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पैनल ने सूरत के पुलिस कमिश्नर से मूर्ति विसर्जन के लिए बनाई योजना की रिपोर्ट मंगाई थी। इसमें कहा गया है कि ताप्ती में एक भी मूर्ति का विसर्जन नहीं करने दिया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर बनाए तालाब व गड्ढों में ही मूर्ति विसर्जन की अनुमति दी गई है। कमिश्नर ने रिपोर्ट में कहा है कि इस साल 60 हजार मूर्तियां इन तालाबों और गड्ढों में विसर्जित की गई थीं।
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पैनल ने कहा कि जनवरी से मार्च के दौरान इस संबंध में एक योजना तैयार की जाए। दिल्ली के डिवीजनल कमिश्नर को सूरत में जाकर मूर्ति विसर्जन के लिए बनाई गई योजना का बारीकी से मुआयना करना चाहिए और फिर उसी तर्ज पर इसे दिल्ली में लागू करना चाहिए।
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सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने कहा है कि लोग पेंट की गई मूर्तियों के साथ धातु से बने आभूषणों को यमुना में प्रवाहित कर रहे हैं। मानकों के मुताबिक पानी में क्रोमियम की मात्रा .05 और आयरन की मात्रा .3 मिली ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
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मूर्ति विसर्जन के बाद जुटाई गई रिपोर्ट कहती है कि इससे यमुना के पानी में क्रोमियम की मात्रा 11 गुना, लौह तत्वों की मात्रा 71 गुना तक गुना बढ़ गई। रिसर्च में माना गया है कि पानी में जहरीले तत्व और धातु का स्तर बढ़ने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।