देश-विदेश में मौजूद ब्लैकमनी की रिपोर्ट आरटीआई के तहत साझा नहीं कर सकते: सरकार

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नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय ने देश के भीतर और बाहर मौजूद कालेधन को लेकर तैयार की गईं रिपोर्टों को आरटीआई के तहत साझा करने से इनकार कर दिया है। मंत्रालय का कहना है कि संसदीय समिति रिपोर्टों की जांच कर रही है। उसका कहना है कि अगर रिपोर्टों को साझा किया जाता है तो यह संसद की मर्यादा का उल्लंघन होगा। ये रिपोर्ट लगभग चार साल पहले सरकार के पास भेजी गई थीं।

  1. सरकार के पास कालेधन का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। 2011 में यूपीए सरकार ने दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाईनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी), नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाईड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाईनेंशियल मैनेजमेंट (एनआईएफेम) को कालेधन के बारे में रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा था।

  2. कालेधन की जानकारी जुटाने के लिए तीनों संस्थाओं ने टर्म ऑफ रेफरेंस के तहत अघोषित आमदनी और संपत्ति की सर्वे रिपोर्ट को अध्ययन का आधार बनाया। मनी लॉन्ड्रिंग को भी इसमें शामिल किया गया। अर्थव्यवस्था के उन सेक्टरों पर खास ध्यान दिया गया, जिनमें अवैध धन खपाया जाता रहा है।

  3. आरटीआई के जवाब में वित्त मंत्रालय ने माना कि तीनों संस्थानों ने 2013-14 के दौरान अपनी-अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। सरकार की टिप्पणी के साथ ये सारी रिपोर्टें लोकसभा सचिवालय को अग्रसारित की गई थीं। तीनों संस्थानों की रिपोर्ट स्टैंडिंग कमेटी ऑफ फाईनेंस के पास हैं। कमेटी इनकी जांच कर रही है।

  4. वित्त मंत्रालय ने आरटीआई के तहत इन रिपोर्टों को साझा करने से इनकार करते हुए कहा कि जो जानकारी मांगी गई है, वह आरटीआई के सेक्शन 8(1) (सी) के तहत नहीं आती है। लिहाजा इन्हें साझा नहीं किया जा सकता। मंत्रालय ने कहा कि 2017 में ये सारी रिपोर्टें स्टैंडिंग कमेटी के हवाले कर दी गई थीं।

  5. अमेरिकी संस्था ग्लोबल फाईनेंशियल इंटीग्रिटी (जीएफआई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2005-14 के दौरान भारत में 54.67 लाख करोड़ रुपये का कालाधन आया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस दौरान 11.72 लाख करोड़ रुपये देश से बाहर भेजे गए थे।

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      Finance Minister says No to disclose Black Money Details says Parliamentary Panel Examining Details

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