नागपुर. डिपेंडिंग चैंपियन विदर्भ और सौराष्ट्र के बीच रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला खेला जा रहा है। मैच के दूसरा दिन खत्म होने तक तीसरी बार फाइनल में पहुंची सौराष्ट्र ने 5 विकेट के नुकसान पर 158 रन बना लिए। वह अब भी 154 रन पीछे है। स्नेल पटेल 87 रन बनाकर नाबाद रहे। इससे पहले खिताब बचाने के लिए खेल रही विदर्भ अपनी पहली पारी में 312 रन पर ऑलआउट हो गई। मैच में विदर्भ ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया था।
विदर्भ की पहली पारी
पहली पारी मेजबान विदर्भ की खराब रही। उसके नियमित अंतराल पर विकेट गिरते रहे। विदर्भ को पहला झटका 21 के स्कोर पर संजय रामास्वामी (2) के रूप में लगा। इसके बाद कप्तान फैज फजल (16) भी पवेलियन लौट गए। टीम को सबसे बड़ा झटका अनुभवी बल्लेबाज वसीम जाफर (23) के आउट होने पर लगा। इनके अलावा मोहित काले ने 35 औरगणेश सतीश ने 32 रन बनाए। विदर्भ के लिए अक्षय कर्नेवार ने 73 और विकेटकीपर अक्षय वाडकर ने 45 रन की पारी खेली। वाडकर ने 115 गेंदों की पारी में पांच चौके लगाए। आदित्य सरवाटे खाता खोले बिना आउट हुए। मैच के दूसरे दिन विदर्भ की पहली पारी 312 पर ऑलआउट हो गई।वहीं, सौराष्ट्र की ओर से कप्तान जयदेव उनादकट ने सबसे ज्यादा 3 विकेट लिए। इनके अलावा चेतन सकरिया और कमलेश मकवान ने 2-2 विकेट हासिल किए।
दो बार रनर-अप रही सौराष्ट्र टीम
रणजी ट्रॉफी में 1950-51 सीजन से कदम रखने वाली सौराष्ट्र अब तक तीन बार फाइनल में पहुंच पाई है। दो बार 2012-13 और 2015-16 सीजन में वह रनर-अप रही। अब उसके पास पहली बार चैम्पियन बनने का मौका है। सौराष्ट्र ने रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में कर्नाटक को पांच विकेट से हराकर तीसरी बार फाइनल में प्रवेश किया है। वहीं, विदर्भ ने अपने सेमीफाइनल मुकाबले में केरल को पारी और 11 रन से हराया था।
खिताब बचाने के लिए मैदान में विदर्भ
विदर्भ लगातार दूसरा रणजी खिताब जीतने के लिए मैदान में उतरा है। विदर्भ ने पिछली बार रणजी ट्रॉफी 2017-18 में दिल्ली को हराकर पहली बार खिताब जीता था। विदर्भ ने दिल्ली को 9 विकेट से हराया था। विदर्भ ने रणजी में अपना डेब्यू 1957-58 के सीजन से किया था। यह रणजी इतिहास की तीसरी टीम है, जिसने डेब्यू करने के बाद पहला खिताब जीतने के लिए इतना लंबा इंतेजार किया।
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