नई दिल्ली.देश में बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा 6.1% के स्तर पर पहुंच गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिसेस (एनएसएसओ) के साल 2017-18 के सर्वे में यह आंकड़े सामने आए हैं। बेरोजगारी के सर्वे पर विवाद के चलते राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के कार्यकारी चेयरमैन और सदस्य ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया था। उनका आरोप है कि आयोग से मंजूरी मिलने के बाद भी सरकार ने आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए।
सर्वे के मुताबिक, 2017-18 में बेरोजगारी दर ग्रामीण क्षेत्रों 5.3% के मुकाबले शहरी क्षेत्र में ज्यादा 7.8% रही। 2011-12 में यह 2.2% थी।नौजवान बेरोजगार सबसे ज्यादा थे, जिनकी संख्या 13 से 27% थी। बेरोजगारी दर 1972-73 में सबसे ज्यादा थी। बीते सालों में कामगारों की जरूरत कम होने से ज्यादा लोग काम से हटाए गए।
नोटबंदी के बाद रोजगार से जुड़ा पहला सर्वे
मोदी सरकार ने नवंबर, 2016 में नोटबंदी का ऐतिहासिकफैसला लिया था। तब कांग्रेस समेत विपक्ष पार्टियोंने इससे रोजगार खत्म होने का दावा किया था। नोटबंदी के बाद देश में बेरोजगारी को लेकर एनएसएसओ का यह पहला सर्वे सामने आया है।
केंद्र सरकार आयोग की बातें गंभीरता से नहीं ले रही थी
सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले पीसी मोहनन और सदस्यजेवी मीनाक्षी का कार्यकाल 27 जून 2020 तक था। मोहनन का कहना है कि रोजगार पर एनएससी के आंकड़े जारी नहीं करने के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दिया। पिछले कुछ समय से उन्हें लग रहा था कि उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। एनएससी में हाल में हुए फैसलों को लागू नहीं किया जा रहा था।
सदस्यों के इस्तीफे पर सरकार ने दी थी सफाई
केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा था कि दोनों ने पिछले कुछ महीने में अपनी चिंताओं को आयोग की बैठकों में नहीं रखा। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने बयान में कहा, “सरकार न सिर्फ आयोग के लिए सम्मान रखती है, बल्कि उसके सुझावों को भी तरजीह देती है और उन पर उचित कदम उठाती है। रोजगार डेटा पर एनएससी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहा है। रिपोर्ट तैयार होते ही इसे जारी किया जाएगा।”
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