सोनभद्र(सीके मिश्रा/रवि पांडेय)अघोरपंथ और तंत्र साधना के लिए जाना जाने वाला जिला सोनभद्र सूबे के आखिरी छोर पर स्थित है । यहां नवरात्रि के अवसर पर आदिवासियों द्वारा जावर निकाल कर अपने देवी देवताओं को प्रसन्न किया जाता है तो वही अघोरियों द्वारा तंत्र साधना किया जाता है। इसके लिए स्थान चुनते है मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बार्डर पर कुडारी नामक गाँव मे सोन नदी के किनारे स्थित कुण्डवा नाले से मां कुण्डवासिनी का प्रादुर्भाव हुआ है। यह मंदिर अति प्राचीन है जिसका निर्माण 11वीं शताब्दी में वालिंदशाह के द्वारा कराया गया था। यह 54 सिद्धपीठो में से 18 वां सिद्धपीठ है।
अति प्राचीन अगोरी किला के समीप स्थित यह कुण्डवासिनी धाम तंत्र साधना का केंद्र है और यह पूरा इलाका आदिवासी बाहुल्य है। आदिवासी बाहुल्य होने के नाते स्थानीय लोगो के साथ साथ दूर- दूर से अन्य प्रांतों से तांत्रिक आकर तंत्र साधना करते है।
इतना ही नही यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है यही कारण है कि शारदीय चैत नवरात्र में यहां चार महीनों के लिए मेला लगता है जिसमे लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है। कुछ अपनी मन्नते मांगते है और कुछ पूरी होने पर दर्शन करने आते है।मजेदार बात यह है कि उस दौरान अधिकांश आदिवासियों के गाल,जीभ में नुकीले राड डाले गए होते है जो उनकी आस्था का केंद्र होता है।
कुण्डवासिनी सिद्धपीठ मंदिर के पुजारी अनंत राम पठाक ने बताया कि यह अति प्राचीन मंदिर है जो अमरकंटक और पटना के बीच मे स्थित 54 सिद्ध पीठो में से एक 18वां सिद्धपीठ मां कुण्डवासिनी का मंदिर है। यह तंत्र साधना का केंद्र है जहां पर लोग दूर-दूर से आकर तंत्र साधना करते है।साथ ही बताया कि सोन नदी के किनारे एक कुंड से निकली है माँ जिसके कारण इन्हें कुण्डवासिनी कहा जाता है । गरुण पर साक्षात विराज वैष्णवी गरुणा है माँ । लोग इन्हें पांडा देवी के नाम से भी जानते है। यहां पर दूर- दूर से मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रांतों से भी दर्शनार्थी आते है सबकी मुरादे पूरी होती है।वही ग्राम प्रधान कुडारी अनिल त्रिपाठी ने बताया कि यहां शारदीय नवरात्र में चार महीने का विशाल मेले का आयोजन होता है जिसमे लाखो की भीड़ होती है । चैत नवरात्र में उसके अपेक्षा कम भीड़ होती है यहां पर दर्शनार्थियों में बिहार झारखंड,छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के लोग आते है । जिनकी सभी मुरादे पूरी होती है ।यहाँ हर प्रकार की दुकान लगती है ।वही मंदिर में दर्शन करने आये देवी प्रसाद ने बताया कि यहाँ पर आकर जो भी मुरादे मांगी जाती है माँ उसको पूरा करती है यही कारण है कि हर वर्ष दर्शन करने के लिए आते है।