पॉक्सो एक्ट: दोषी कलुआ को 20 वर्ष की कठोर कैद

  • एक लाख 28 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
  • अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख रूपये पीड़िता को मिलेगी
  • 8 वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म का मामला
    फोटो: कोर्ट भवन
    सोनभद्र। आठ वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी शशि नाई उर्फ कलुआ को 20 वर्ष की कठोर कैद एवं एक लाख 28 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख रूपये पीड़िता को मिलेगी।
    अभियोजन पक्ष के मुताबिक पिपरी थाना क्षेत्र निवासी पीड़िता की मां ने पिपरी थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि पिपरी थाना क्षेत्र के शिवा पार्क, रेणुकूट निवासी शशि नाई उर्फ कलुआ पुत्र रमेश नाई ने उसकी नाबालिग लड़की को बहला फुसलाकर करीब एक साल से अवैध संबंध बनाया था। जब बेटी के पेट में 3 माह का गर्भ ठहर गया तो बच्चा गिराने के लिए उसे दवा खिला दिया, जिससे 8 मार्च 2016 को बेटी घर आकर बेहोश हो गई। बेटी को उसी दिन हिंडाल्को अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया गया तो 3 माह का मृत बच्चा पैदा हुआ। बेटी की किसी तरह से जान बची। इस कार्य में कलुआ की बहन का भी हाथ रहा।इस तहरीर पर पुलिस ने 20 मार्च 2016 को एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी शशि नाई उर्फ कलुआ को 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख 28 हाजर रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरी, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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इनसेट-

कोर्ट ने कहा कि-” अभियुक्त शशि नाई उर्फ कलुआ ने नाबालिग लड़की(पीड़िता) के साथ कई बार बालात्संग किया है। जिसकी वजह से पीड़िता गर्भवती हो गई। जिसे परिवीक्षा का लाभ देने का कोई औचित्य नहीं है।”
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने प्रथम अपराध बताते हुए जहां कम से कम सजा की मांग की, वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि ने कहा कि नाबालिग पीड़िता के साथ कई बार बालात्संग किया है, जिससे गर्भवती हो गई। जब तीन माह के गर्भ का पता अभियुक्त को चला तो दवा खिलाकर गर्भपात करवा दिया। यह गंभीर प्रकृति का अपराध है। इसमें अभियुक्त को कठोरतम कारावास की सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति जुर्रत न कर सके।

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