सुरभी चतुर्वेदी की रिपोर्ट
▪मानव शृंखला बनाकर जल संरक्षण का किया आह्वान
▪- विश्व जल दिवस पर संकट मोचन फाउंडेशन की ओर से तुलसीघाट पर जनसभा
▪- विद्वानों के विचार व बच्चों के हाथों की तख्तियों ने दिया जल ही जीवन है जैसा संदेश
वाराणसी,22 मार्च। विश्व जल दिवस पर संकट मोचन फाउंडेशन एवं मदर फॉर मदर्स के संयुक्त तत्वावधान में तुलसीघाट पर गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने के लिए एक जनसभा एवं मानव श्रृंखला बनाकर गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर आयोजित जन सभा में वक्ताओं ने जल के महत्वपूर्ण स्रोत गंगा के प्रवाह को अविरल व निर्मल करने के लिए जागरूकता का संदेश दिया तो बच्चों के हाथों में तख्तियों ने जल ही जीवन है जैसे वाक्यों से जागरूक किया।
इस अवसर समारोह के मुख्य अतिथि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने कहा कि जल ही जीवन है। तुलसीदास लिखते है कि पंचतत्व में जल भी महत्वपूर्ण है। शास्त्रों में नदियों के जल का महत्व बताने के लिए कूप तालाब खोदवाना धर्म का अंग माना जाता है। आज गंगा ही नहीं भारत की सभी नदियों के जल का संरक्षण करने की जरूरत है। आज हम जल ही नहीं पूरे पर्यावरण की रक्षा करें।
जनसभा को संबोधित करते हुए संकट मोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर विस्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि मां गंगा के प्रति हमें संवेदनशील बनना होग, तभी मां गंगा प्रदूषण मुक्त होंगी। उन्होंने कहा कि गंगा में प्रतिदिन 300 एमएलडी मल-जल बिना शोधित किए जा रहा है और हमें बताया जा रहा है कि मां गंगा स्वच्छ एवं निर्मल हो गई है । उन्होंने कहा कि जो गंगा में स्नान नहीं करते हैं उनको तो गंगा जी पूरी तरह से स्वच्छ एवं सुंदर ही दिखेंगी। गंगा के प्रति सही रिपोर्ट जाननी हो तो गंगा में रोज नहाने वालों से पूछिए वह पूरी बात सत्यता से बताएंगे। आज मां गंगा का पानी आचमन योग्य नहीं है और हम उसे स्वच्छ एवं निर्मल बताकर झूठ बोल रहे हैं ।उन्होंने कहा कि पहले गंगा के इस पार ही प्रदूषण था अब तो गंगा के उस पार भी प्रदूषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि कम से कम मां गंगा का नाम लेकर तो झूठ मत बोलिए।
मदर फॉर मदर्स के संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती आभा मिश्रा ने कहा कि मां गंगा के स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए माताओं को भी अपने घरों से निकलना होगा तभी मां गंगा स्वच्छ एवं निर्मल होंगी l
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार सोच विचार पत्रिका के प्रधान संपादक डॉक्टर जितेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा कि नव संवत्सर के आरंभ दिवस पर जल दिवस मनाना महत्वपूर्ण है। हमारा दायित्व है कि हम स्वयं जल संरक्षण करें। गंगा मैली नहीं है आज हम मैले हो गए हैं।
कांची कोटि पीठ के शंकराचार्य के प्रतिनिधि बी एस सुब्रह्मण्यम मणि ने कहा कि यह दिवस यह बताने के लिए है कि यदि हम आज जल संरक्षण नहीं करेंगे तो हमारी आगे की पीढ़ियों को कष्ट भुगतना होगा। हम आज पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संकल्प लें। शंकराचार्य के आह्वान पर हमें नदियों के किनारे पौधरोपण करना चाहिए। प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी फरमान हैदर ने कहा है कि मालिक ने गंगा को मां के रूप में हमें दिया है। मैत्री भवन के निदेशक फादर फिलिप डेनिश ने कहा कि हम अपने घर में जल का दुरुपयोग बंद करें। हम अपने तरीके से जल संरक्षण करना सीखें।
इस अवसर पर घाट पर मानव शृंखला बनाकर मां गंगा को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया गया। इस श्रृंखला में लोगों ने हाथ से हाथ जोड़कर पर्यावरण व जल संरक्षण के लिए जागरूकता व एकता के साथ बच्चों ने हाथों में पर्यावरण के प्रति सचेत रहने और भविष्य के लिए जल की अनिवार्यता संबंधी संदेश लिखीं तख्तियां ले रखी थीं।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार दुबे एवं जागृति फाउंडेशन के रामयश मिश्र , आभार प्रकाश बीएचयू बॉटनी विभाग के प्रो. एनके दुबे तथा स्वागत डीएवी डिग्री कालेज अर्थ शास्त्र विभाग के प्रो. अनूप मिश्र ने किया। इस अवसर पर टीवीएन के प्रधानाचार्य डॉक्टर एसके श्रीवास्तव, राजेश मिश्र, अशोक पांडेय , गोपाल पाण्डेय, सोनू झा, प्रभुदत्त त्रिपाठी, नरेंद्र पाण्डेय, डॉ0 एच एन मिश्रा आदि ने समागत अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया l जनसभा में चिरईगांव ब्लॉक रघुनाथपुर आदर्श भारती जूनियर हाई स्कूल के शिक्षकों और बच्चों ने भी सहभागिता की l