सुरभी चतुर्वेदी की रिपोर्ट
वाराणसी।प्रदूषण पर चिंतन ही नही क्रियान्वयन की जरूरत है।बताते चले कि पिछले कुछ सालों से पुरे विश्व के स्वास्थ्य से खिलवाड़ / समझौता किया जा रहा है I पहले कोरोना की मार फिर वायु प्रदुषण का चपेट I विगत दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रदुषण पर नियंत्रण रखने पर जोर दिया जा रहा था, परन्तु कोरोना के साथ साथ अब वायु प्रदुषण भी उसे अनियंत्रित परेशानी में शामिल कर रही है I
ब्रेथ ईजी के मेडिकल डायरेक्टर व वरिष्ठ टी.बी, श्वास एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ एस. के पाठक ने इस विषय पर चिंता जतायी है, व एक परिचर्चा में बताया कि – “प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार काशी की हवा दिल्ली के साथ-साथ देश की जहरीली हवा में शामिल हो गयी हैं, जिसका एयर क्वालिटी इंडेक्स १४५ हैं (०५/११/२२), जोकि संवेदनशील समूहों के लिए अस्वस्थ हैं, जिसमे स्माल साइज़ पार्टिकल २.५ माइक्रोन एस.पी.एम् का लोड बनारस में 50 से ज्यादा है, जबकि यह लोड साधारणत: 20 से अधिक नही होना चाहिए I वही लार्ज साइज़ पार्टिकल १० माइक्रोन का लोड वाराणसी में १०० से ज्यादा हैं, जिसे साधारणतया ५० से ज्यादा नही होना चाहिए I”
डॉ. पाठक आगे बताते हैं कि – ‘पर्यावरण में विषैले, हानिकारक और जीवन के लिए खतरा माने जाने वाले तत्वों की अधिकता हो जाने की वजह से प्रदुषण हम पर हावी होता जा रहा हैं I वायु प्रदूषण से होने वाली समस्याओं में मुख्यत: सांस लेने में दिक्कत (जिसकी वजह से एलर्जी की शिकायत या अस्थमा), ड्रायनेस के साथ आंखों में जलन, गले में खराश के साथ दर्द, स्किन रैशेज और खुजली की समस्या आदि हो सकती है। काशी की हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर १६ था जिसे साधारणतया १ से ज्यादा नही होना चाहिए I नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का लोड १६ हैं, जिसे १० से ज्यादा नही होना चाहिए I आज के समय में कारखानों, विभिन्न मोटर कार, बाइक आदि गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के कारण वातावरण बहुत ही प्रदूषित हो चूका है। सबसे अधिक वायु प्रदूषण गाड़ियों के धुएं, अर्धनिर्मित कंस्ट्रक्शन से हो रहा है। ये आकडे जताते हैं प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का हवा जहरीला हो गया हैं I”
डॉ एस. के पाठक ने इस सन्दर्भ में पी.एम् मोदी से उनके वाराणसी में हुई एक शिष्टाचार मुलाकात के दौरान “वाराणसी को डस्ट फ्री जोन” बनाने के लिए एक ज्ञापन सौपा था I डॉ पाठक ने अपनी विगत कई वर्षो के प्रैक्टिस के दौरान यह पाया हैं कि ओ.पी.डी में श्वास मरीजो की संख्या लगातार बढती ही जा रही हैं, पर ध्यान देने वाली बात ये भी है कि ये मरीज कोरोना के नही है I” उनके आकड़ो के अनुसार ओ.पी.डी में जो आज से १० वर्ष पहले प्रतिदिन श्वास मरीजो की संख्या १०% से १५% हुआ करती वो संख्या आज के समय में बढ़कर प्रतिदिन ४०% से ५०% तक पहुच चुकी हैं I
विगत दिनों डॉ पाठक द्वारा एक शोध में यह पाया गया कि दिन में वाराणसी शहर में 2-३ घंटो तक भ्रमण करने के बाद फेफड़ो की कार्य क्षमता में १५%-२०% तक की गिरावट हो जाती हैं, जिसे सुधरने में काफी लम्बा समय लग जाता हैं I
डॉ पाठक का कहना है कि वो दिन अब दूर नही जब बनारस एक जहरीली गैस चैम्बर में तब्दील हो जायेगा, और यहाँ पर दिल्ली जैसे सम-विषम गाड़िया चलाना प्रारंभ हो जायेगा I वाराणसी के बढ़ते जाम, संकुरित सड़के, धुल भरी सड़के, लगातार खुदाई व ट्रेफिक का बढ़ता प्रदुषण यदि समय रहते चेता नही गया तो काशी के लोगो का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन बिगड़ता जायेगा जिसके साथ साथ उन्हें अन्य बिमारियों का भी सामना करना पड़ सकता हैं I
ब्रेथ ईजी इस सन्दर्भ शहर व गावों में नि:शुल्क शिविर लगाकर लोगो की फेफड़ो की क्षमता व उनको जागरूक कराता आया हैं , परन्तु इस कोरोना काल में ये सभी जागरूकता कार्यक्रम ऑनलाइन के मध्यम से किया जा रहा हैं, ताकि लोग सतर्क और जागरूक रहे I ब्रेथ ईजी का प्रशाशन से अनुरोध हैं कि वाराणसी के बढ़ते प्रदुषण से बचने के लिय वाराणसी को डस्ट फ्री जों घोषित किया जाये I