जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काल सर्प योग के प्रकार एवं शांति के उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काल सर्प योग के प्रकार एवं शांति के उपाय
१२ राशियों में १२ प्रकार का कालसर्प योग तथा १२ लग्नों में १२ प्रकार कालसर्प दोष । दोनों को मिलाने से कुल २८८ प्रकार का कालसर्प दोष होता है। इनमें से मुख्य १२ प्रकार के कालसर्प योग हैं जो कि जातक के जीवन को विविध प्रकार से प्रभावित करते है इनमे से पहले दोष ना नाम अनंत काल सर्प है इसका विवरण एव दोष शांति का उपाय निम्नलिखित है।
अनन्त कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली में राहु लग्न में व केतु सप्तम में हो और उस बीच सारे ग्रह हों तो अनन्त नामक कालसर्प योग बनता है। ऐसे जातकों के व्यक्तित्व निर्माण में कठिन परिश्रम की जरूरत पड़ती है। उसके विद्यार्जन व व्यवसाय के काम बहुत सामान्य ढंग से चलते हैं और इन क्षेत्रों में थोड़ा भी आगे बढ़ने के लिए जातक को कठिन संघर्ष करना पड़ता है। मानसिक पीड़ा कभी-कभी उसे घर- गृहस्थी छोड़कर वैरागी जीवन अपनाने के लिए भी उकसाया करती हैं। लाटरी, शेयर व सूद के व्यवसाय में ऐसे जातकों की विशेष रुचि रहती हैं किंतु उसमें भी इन्हें ज्यादा हानि ही होती है। शारीरिक रूप से उसे अनेक व्याधियों का सामना करना पड़ता है। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत ही डांवाडोल रहती है। फलस्वरूप उसकी मानसिक व्यग्रता उसके वैवाहिक जीवन में भी जहर घोलने लगती है। जातक को माता-पिता के स्नेह व संपत्ति से भी वंचित रहना पड़ता है। उसके निकट संबंधी भी नुकसान पहुंचाने से बाज नहीं आते। कई प्रकार के षड़यंत्रों व मुकदमों में फंसे ऐसे जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा भी घटती रहती है। उसे बार-बार अपमानित होना पड़ता है। लेकिन प्रतिकूलताओं के बावजूद जातक के जीवन में एक ऐसा समय अवश्य आता है जब चमत्कारिक ढंग से उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। वह चमत्कार किसी कोशिश से नहीं, अचानक घटित होता है। सम्पूर्ण समस्याओं के बाद भी जरुरत पड़ने पर किसी चीज की इन्हें कमी नहीं रहती है। यह किसी का बुरा नहीं करते हैं। जो जातक इस योग से ज्यादा परेशानी महसूस करते हैं। उन्हें निम्नलिखित उपाय करना चाहिए।
उपाय
महामृत्युन्जय मन्त्र का जाप करने से भी अनन्त काल सर्प दोष का शान्ति होता है।
देवदारु, सरसों तथा लोहवान को उबालकर उस पानी से सवा महीने तक स्नान करें।
घर में मोर पंख रखें।
विद्यार्थीजन सरस्वती जी के बीज मंत्रों का एक वर्ष तक जाप करें और विधिवत उपासना करें।
हनुमान चालीसा का १०८ बार पाठ करें।
शुभ मुहूर्त में बहते पानी में कोयला तीन बार प्रवाहित करें।
नाग नागिन जोड़े की पूजा करें।
रूद्र्राभिषेक करवाये।
राहु केतु के मंत्रो का निर्दिष्ट संख्या में जप कर दशांश हवन करना सर्वश्रेष्ठ उपाय माना गया है।