संगम स्थल पर स्थित सुर्य मंदिर का है विशेष महत्व
ओम प्रकाश रावत विंढमगंज सोनभद्र
विंढमगंज सोनभद्र झारखंड – उत्तर प्रदेश सीमा को विभाजित करने वाली सततवाहिनी नदी के संगम स्थल पर स्थित विंढमगंज का सूर्य मंदिर पांच प्रांतों के श्रद्धालुओं का आस्था का प्रमुख केंद्र है संगम स्थल पर स्थित इस मंदिर की विशेष महत्व इसलिए बढ़ जाती है कि पुराणों में यह विधान है कि छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के छट्ठी को मनाए जाने वाला एक हिंदू पर्व है मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है वैदिक काल से यह चला रहा है इस त्यौहार के अनुष्ठान कठोर है 4 दिन की अवधि में मनाए जाते हैं इसमें पवित्र स्नान उपवास और पीने के पानी से दूर रहना लंबे समय तक पानी में खड़ा होना और छठ पर्व सुर्य प्रकृति जल वायु और उसकी बहन छठी मैया को व्रत की महिलाएं समर्पित करते हैं ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की व्यवस्था को बहाल करने के लिए पूजा की जाती है इस पर्व में कोई मूर्ति पूजा शामिल नहीं सिर्फ भगवान भास्कर को ही देव मानकर पर्व मनाया जाता है सन क्लब सोसायटी के द्वारा इस संगम स्थल पर क्षेत्र के स्थानीय लोगों से 5, ₹5 के आर्थिक
सहयोग से विशाल सूर्य मंदिर बना है मंदिर की आधारशिला क्लब के द्वारा सन् 2000 में रखा गया था जो 10 वर्षों की कड़ी मेहनत व लगन से बनकर तैयार है दिगंबर अखाड़ा अयोध्या से संबंध श्री राम मंदिर के महंत मनमोहन दास ने बताया कि जब श्री राम मंदिर की आधारशिला व निर्माण कराया गया था उसी समय छोटी सी पिंडी के रूप में सूर्य भगवान की भी स्थापना कर दी गई थी क्लब के संयोजक प्रभात कुमार ने बताया कि समय बीतने के पश्चात क्लब के द्वारा विशाल सूर्य मंदिर का निर्माण कराने के पश्चात बनारस में कारीगरों के द्वारा जयपुर से दूधिया संगमरमर को तराश कर सात घोड़े पर सवार भगवान सूर्य की प्रतिमा को स्थापित कराई गई है पूर्व अध्यक्ष अमित कुमार केसरी ने कहा कि इस संगम स्थल पर स्थापित सूर्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद से इतना जीवंत आ गया है कि यहां मनौती मांगने के बाद अवश्य ही पूरी होती है झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के दर्जनों गांवों से हजारों छठी व्रत करने वाली महिलाएं इस पर्व पर आती हैं और अपने दुःखों को भगवान भास्कर के समक्ष मनोती मान कर जाती है 1 वर्ष बीतने के पश्चात उनकी मनौती पूर्ण होने के बाद गाजेबाजे के साथ छठ पर्व करने के लिए अपने सपरिवार आती है मनोती पूरा होने के पश्चात व्रती महिलाएं रोड पर दंडवत व छठी मैया की जयकारा के साथ जयघोष करते हुए छठ घाट तक भगवान सूर्य को नमन करते हुए आती हैं जिससे पूरा इलाका छठ माई की जय सूर्य भगवान की जय से गुजरा रहता है