
*ग्रामीण शिशु गृह के माध्यम से 75 गांव के बच्चों को मिलेगा पोषक आहार एवं शिक्षा*
*एनसीएल ब्लॉक बी ने सीएसआर के तहत आवंटित की 128.86 लाख की धनराशि*
भारत सरकार की मिनीरत्न कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटिड सीएसआर के तहत आस पास के ग्रामीण क्षेत्र के सर्वांगीण विकास हेतु लगातार प्रयास कर रही है |
इसी कड़ी में चितरंगी जनपद पंचायत के अन्तर्गत बगैया गांव में प्रोजेक्ट फुलवारी का उदघाटन किया गया |
इस अवसर पर आदिम जाति कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव श्री मती डॉ. पल्लवी जैन, उपनिदेशक बाल स्वास्थ्य और पोषण, डॉ. राजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर सिंगरौली श्री राजीव रंजन मीणा, चितरंगी विधानसभा क्षेत्र के माननीय विधायक श्री अमर सिंह , एन सी एल सी.एस.आर. विभाग के मुख्य प्रबंधक मो. परवेज, जनस्वास्थ्य सहयोग के सचिव डॉ. रमन कटारिया वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे | साथ ही एनसीएल ब्लॉक बी की सीएसआर नोडल अधिकारी श्रीमती पारुल यादव, जनपद सीईओ सुलभ सिंह पुषाम, जनस्वास्थ्य सहयोग के डॉ. पंकज,क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व अन्य ग्रामीण कार्यक्रम में उपस्थित रहे |
प्रोजेक्ट फुलवारी के माध्यम से एनसीएल चितरंगी के 75 गाँव में 6 महीने से 3 वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण की समस्याओं को दूर करने के लिए कार्य करेगी । फुलवारी एक ग्रामीण क्रेच है जो गाँव की ही एक महिला द्वारा संचालित किया जाता है। क्रेच एक सप्ताह में 6 दिनों तक 7 घंटे के लिए संचालित होता है। यहाँ बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के साथ ही शैक्षिक गतिविधियाँ भी संचालित की जाती हैं।
फुलवारी कार्यक्रम की मदद से माताएं अपने बच्चों को केंद्र में छोड़कर अपनी आजीविका कमाने के लिए काम पर जा सकती हैं ।
प्रोजेक्ट फुलवारी के तहत कुल 75 गाँव कवर किये जाएँगे | प्रथम चरण में यह कार्य 25 गांव में प्रारम्भ किया गया है | इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत एनसीएल ब्लॉक बी ने सीएसआर के तहत कुल 128 लाख के फंड का प्रावधान किया है |
प्रोजेक्ट फुलवारी एक गैर सरकारी संगठन जन स्वास्थ्य सहयोग (जेएसएस) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा जिसकी शुरुआत एम्स, दिल्ली में प्रशिक्षित डॉक्टरों के समूह द्वारा की गई थी ।यह संगठन पिछले 20 वर्षों से छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आदिवासी समुदायों के साथ काम कर रहा है।
प्रोजेक्ट फुलवारी को सामाजिक निगमित दायित्व के अंतर्गत नॉर्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ,भोपाल की मदद से संचालित किया जाएगा ।
गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से ग्रामीण बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में कार्य किया जाएगा और साथ ही उन बच्चों को भी वापस शिक्षा से जोड़ा जा सकेगा जो माँ की अनुपस्थिति में भाई-बहनों की देख रेख करते हैं |
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