देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों व् इंजीनियरों के साथ उप्र के बिजली कर्मियों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम, केंद्र शासित प्रान्तों व् उडीसा में निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन /सभा की।
पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट
वाराणसी-। नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (एन सी सी ओ ई ई ) के निर्णय के अनुसार आज देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के साथ उप्र के बिजली कर्मचारियों , जूनियर इंजीनियरों और अभियन्ताओं ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम, केंद्र शासित प्रान्तों व् उडीसा में निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन /सभा की ।
केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के वायदे को खारिज करते हुए विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति , उप्र ने स्पष्ट किया है कि वस्तुतः निजीकरण किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है और निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी।
पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम का निजीकरण किसी भी प्रकार प्रदेश व् आम जनता के हित में नहीं है। निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है जबकि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति कर रहा है । निजी कंपनी अधिक राजस्व वाले वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्राथमिकता पर बिजली देगी । ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण की विफलता को देखते हुए पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव हर हाल में रद्द किया जाना चाहिए ।
इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के अनुसार नई टैरिफ नीति में सब्सिडी और क्रास सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी और किसी को भी लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी । अभी किसानों , गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती है जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है । अब नई नीति और निजीकरण के बाद सब्सिडी समाप्त होने से स्वाभाविक तौर पर इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी ।
बिजली की लागत का औसत रु 07. 90 प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा एक्ट के अनुसार कम से कम 16 % मुनाफा लेने के बाद रु 09. 50 प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं मिलेगी । इस प्रकार एक किसान को लगभग 6000 रु प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को 6000 से 8000 रु प्रति माह तक बिजली बिल देना होगा । निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो इसीलिये सब्सिडी समाप्त कर प्रीपेड मीटर लगाए जाने की योजना लाई जा रही है | अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है । सब्सिडी समाप्त होने से किसानों और आम लोगों को भारी नुक्सान होगा जबकि क्रास सब्सीडी समाप्त होने से केवल उद्योगों और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ होगा ।
इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पारित हो गया तो बिजली के मामले में राज्यों के अधिकार का हनन होगा और टैरिफ तय करने से लेकर बिजली की शिड्यूलिंग तक में केंद्र का दखल होगा ।
बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है जिसका अर्थ यह होता है कि बिजली के मामले में राज्यों को केंद्र के समान बराबर का अधिकार है किन्तु इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिये बिजली के मामले में केंद्र एकाधिकार ज़माना चाहता है | मौजूदा कानून के अनुसार राज्य सरकार के कहने पर राज्य का विद्युत् नियामक आयोग किसानों , गरीबों और कम बिजली उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी को सम्मिलित करते हुए बिजली की तर्कसंगत दरें तय करता है । नए बिल में यह प्राविधान किया गया है कि नियामक आयोग बिजली की दरें तय करने में सब्सिडी को सम्मिलित नहीं कर सकता और सभी उपभोक्ताओं को बिजली की पूरी लागत देनी होगी । इस प्रकार बिजली की दरें तय करने में गरीब उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने के राज्य के अधिकार को छीना जा रहा है ।
नए बिल के अनुसाए इलेक्ट्रिसिटी कॉन्ट्रैक्ट एनफोर्समेन्ट अथॉरिटी का गठन कर रही है । यह अथॉरिटी बिजली वितरण कंपनियों और निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादन घरों के बीच बिजली खरीद के करार के अनुसार भुगतान को सुनिश्चित करने का कार्य करेगी और इस अथॉरिटी के पास यह अधिकार होगा कि यदि निजी उत्पादन कंपनी का भुगतान सुनिश्चित नहीं किया गया है तो राज्य को केंद्रीय क्षेत्र और पावर एक्सचेंज से एक यूनिट बिजली भी न मिल सके । करार का पालन कराने के अधिकार आज भी राज्य के नियामक आयोग के पास हैं किन्तु इस नई अथॉरिटी के बनने के बाद राज्य में बिजली देने (शिड्यूलिंग) का अधिकार अब केंद्र सरकार के पास चला जाएगा ।
इसके अतिरिक्त नए बिल में यह प्राविधान किया जा रहा है कि राज्य विद्युत् नियामक आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार अब केंद्र सरकार के पास चला जायेगा और राज्य के पास नहीं रहेगा | इनके चयन हेतु अब केंद्र सरकार की चयन समिति होगी जिसमे राज्य का कोई प्रतिनिधि भी नहीं होगा ।
नए बिल में एक निश्चित प्रतिशत तक सोलर पावर खरीदना राज्य के लिए बाध्यकारी होगा और ऐसा न करने पर राज्य को भारी पेनाल्टी देनी होगी | ध्यान रहे कि बिजली की जरूरत न होने पर भी यह बिजली खरीदनी पड़ेगी जिसके लिए राज्य को अपनी बिजली उत्पादन इकाइयों को बंद करना पडेगा जिससे सबसे सस्ती बिजली मिलती है | इस प्रकार इस बिल से केंद्र के अधिकार बढ़ेंगे और राज्य के अधिकारों का हनन होगा ।
इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट ) बिल 2020 में बिजली वितरण का निजीकरण करने हेतु डिस्ट्रीब्यूशन सब लाइसेंसी और फ्रेन्चाइजी के जरिये निजी क्षेत्र को विद्युत् वितरण सौंपने की बात है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है | फ्रेन्चाइजी का प्रयोग पूरे देश में विफल हो चुका है और वांछित परिणाम न दे पाने के कारण लगभग सभी फ्रेंचाइजी करार रद्द कर दिए गए हैं | उत्तर प्रदेश में भी आगरा में टोरेंट पावर कंपनी की लूट चल रही है और कंपनी करार की कई शर्तों का उल्लंघन कर रही है | सी ए जी ने भी टोरेंट कंपनी पर घपले के आरोप लगाए हैं | इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट ) बिल 2020 में सब्सीडी और क्रास सब्सीडी समाप्त करने की बात लिखी है जिससे आम उपभोक्ता का टैरिफ बढ़ेगा ।यह बिल किसी भी प्रकार जनहित में नहीं है अतः इसे तत्काल वापस लिया जाए तथा पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त किया जाये ।
*आज की विरोध सभा की अध्यक्षता ई0 चन्द्रशेखर चैरसिया एवं संचालन अंकुर पाण्डेय ने किया।
आज की सभा में संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारी सर्वश्री ई0 ए0आर0वर्मा ,ई0 ए0के0 सिंह,रामकुमार, संजय भारती, आर0के0 वाही, ए0के0 श्रीवास्तव, मायाशंकर तिवारी, राजेन्द्र सिंह,जिउतलाल, विरेन्द्र सिंह, गुलाब प्रजापति,रमन श्रीवास्तव, ओ0पी0 भारद्वाज, रामाशंकर पाल, ए0के0 सिंह, सुनील यादव, शशि किरण मौर्य, जे0पी0एन0 सिंह,जगदीश पटेल, नीरज बिन्द, आर0बी0 यादव, विजय सिंह,मदन लाल, राजेश कुमार, हेमंत श्रीवास्तव, मनीष श्रीवास्तव, एस0के0 सिंह ,संतोष कुमार,अमितानंद त्रिपाठी, जाकिर अली, इंद्रपाल,आदि मुख्यत‘ उपस्थित थें।