पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट
नाजनीन अंसारी ने उर्दू में स्वरचित राम आरती उतारी
वाराणसी।: वर्ष 1528 में मुगल आक्रांता बाबर के आदेश से मीर बांकी ने राम मंदिर विध्वंस कर जब बाबरी मस्जिद बनायी होगी तब उसने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर उसी स्थान पर दुबारा बनेगा। 492 साल बाद मर्यादा में रहते हुये भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भूमि पूजन भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की आधार शिला बन गयी तभी तो पूरी दुनियां राममय हो गयी। जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा के साथ भारत को एक सूत्र में बांधने वाले प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण से कौन खुश नहीं होगा। अयोध्या में जन्मभूमि पूजन की तैयारी शुरू हो गयी। सबने अपने-अपने हिसाब से तैयारी की, कोई भजन गा रहा है, कोई दीप जला रहा है। ऐसे में 14 वर्षों से लगातार भगवान श्रीराम की आरती करने वाली मुस्लिम महिलाएं पीछे कैसे रहतीं।
लमही स्थित इन्द्रेश नगर के सुभाष भवन में विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘श्रीराम जन्मभूमि पूजनोत्सव’ का आयोजन सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुये किया गया। अयोध्या से लायी गयी श्रीराम जन्मभूमि की पवित्र मिट्टी दर्शन के लिये रखी गयी। सुभाष भवन को झंडियों और हनुमान ध्वजा से सजाया गया। चित्रकार रूचि सिंह द्वारा बनाये गये भगवान श्रीराम, माता जानकी, हनुमान जी के चित्रों की प्रदर्शनी लगायी गयी। मुस्लिम महिलाओं द्वारा तैयार किये गये सजावटी दीपों को जलाया गया। हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं ने मिलकर श्रीराम के भजन गाये। उधर अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 बजकर 15 मिनट पर अविजीत मुहुर्त में भूमि पूजन कर शिलान्यास किया तो इधर काशी में मुस्लिम महिलाओं की विश्व प्रसिद्ध श्रीराम आरती शुरू हो गयी। मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम की भव्य आरती कर अपनी खुशी का इजहार तो किया ही, साथ ही साम्प्रदायिक एकता का संदेश भी दिया। नाजनीन अंसारी द्वारा उर्दू में रचित राम आरती का गायन हुआ। हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं ने मिलकर बधाई संदेश गाया।
मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने उर्दू में हनुमान चालीसा, राम प्रार्थना, राम आरती लिखा है। नाजनीन को हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी के नाम से जाना जाता है। अब रामचरित मानस का उर्दू में अनुवाद कर रही है। नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने श्रीराम आरती कर केवल भगवान श्रीराम के प्रति अपनी आस्था नहीं प्रकट की बल्कि 492 सालों के विवाद और नफरत पर भी पानी फेर दिया। काशी से पूरी दुनियां को दिया गया साम्प्रदायिक एकता का संदेश भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण में चार चांद लगा दिया। मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयास इतिहास में इस बात की गवाही देगा कि भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण की आधारशिला नफरत और अदालत में हार पर नहीं टिकी थी बल्कि सबकी खुशी और मोहब्बत के पैगाम पर टिकी थी। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने ऑनलाईन सम्बोधित करते हुये कहा कि ‘भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण पूरे विश्व को शांति के मार्ग पर ले जायेगा। दुनियां के सभी राष्ट्राध्यक्षों को एक बार भगवान श्रीराम का दर्शन करना चाहिये ताकि वे अपने देश में राम राज्य की तरह आदर्श राज्य स्थापित कर सकें। जहां शांति, सद्भावना और भाईचारा हो। मुस्लिम महिलाओं का 14 वर्षों का प्रयास सफल हुआ। मुस्लिम महिलाओं ने उन कट्टरपंथियों को करारा जवाब दिया है जो नफरत का पाठ पढ़ाते हैं। राम मंदिर निर्माण से दुनियां के देशों का सनातन संस्कृति की ओर झुकाव बढ़ेगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं कार्यक्रम योजनाकार विशाल भारत संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डा० राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि भगवान श्रीराम की जन्मभूमि की आधारशिला सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। भारत के इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण से पूरा विश्व प्रभावित होगा और दुनियां के लोग अपने रहन-सहन में तब्दीली करेंगे। भोगवाद और स्वार्थवाद से दुनियां निकलकर त्याग की ओर बढ़ेगी। राम को आधार बनाने से घर, समाज और राष्ट्र में स्थायी शांति का निर्माण होगा। काशी की मुस्लिम महिलाओं ने देश को एक सूत्र में जोड़ने का जो नजीर पेश किया है, वह इतिहास में सदैव अविस्मरणीय रहेगा।
मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि मैं 14 वर्षों से श्रीराम आरती करती आ रही हूँ। भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण से सबका गौरव बढ़ेगा। कोई भी भारतीय अपना धर्म बदल सकता है लेकिन अपना पूर्वज नहीं बदल सकता। हमारे पूर्वजों के भी पूर्वज हैं श्रीराम। राम मंदिर निर्माण से रामराज्य का रास्ता निकलेगा। सभी हिन्दू मुसलमान सांस्कृतिक रूप से एक हैं। मुस्लिम देशों को राम के चरित्र के बारे में पढ़ाना चाहिये ताकि उनके देश के लोग हिंसक न बनकर शांति के रास्ते पर चलें। राम राज्य का दर्शन पूरे विश्व के लिये है। हमारा डीएनए मंगोल बाबर से नहीं मिलता, हमारा डीएनए प्रभु श्रीराम से मिलता है। जो भी राम से बैर लेता है, उसको तीनों लोकों में जगह नहीं मिलती। रावण और बाबर को सूरज चांद रहने तक लोग नफरत के भाव से देखेंगे। जो राम की शरण में आ जाता है उसकी मित्र पूरी दुनियां हो जाती है।कार्यक्रम में अर्चना भारतवंशी, डा० मृदुला जायसवाल, रूचि सिंह, नजमा परवीन, नगीना बेगम, सोनी बानो, रूखसाना, नाजमा, शहनाज, रूखसार, अजमती, सोनी, मदीना, बशीरूननिशा, पूनम, रमता श्रीवास्तव, उर्मिला देवी, गीता, किसुना, अर्चना श्रीवास्तव, प्रियंका श्रीवास्तव, पार्वती, प्रभावति, मैना देवी, सरोज देवी, लीलावती देवी, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता, शालिनी, शिखा, राधा, आयुशी, आकांक्षा, रोजा, तबरेज, राशिद, ताजीम, वत्सल, अंकित, आयुष आदि लोग उपस्थित थे!