वाराणसी से पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोरीवाराणसी।अयोध्या में राम मंदिर निर्माण:पांच नदियों के पवित्र जल से होगा भूमि पूजन, बीएचयू के तीन विद्वानों को पूजन कराने की मिली जिम्मेदारी
वाराणसी13 घंटे पहलेयह तस्वीर अयोध्या की है। मंदिर निर्माण के लिए यहां कारसेवकपुरम में बीते 28 सालों से तराशकर रखे पत्थरों को चमकाने का काम जारी है।
पांच अगस्त को अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का शिलान्यास होगा, मोदी को न्योता भेजा गया
काशी विद्वत परिषद ने बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म संकाय ज्योतिष विभाग के तीन प्रोफेसर को अयोध्या जाने के लिए कहा।अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर की आधारशिला पांच अगस्त को उनके जन्म के मुहूर्तकाल में रखी जाएगी। सुबह गौरी-गणेश की पूजा के साथ ही पांच पावन नदियों के जल से अनुष्ठान होगा। नवग्रह, सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाएगी। सारे अनुष्ठान काशी विद्वत परिषद को सौंपी गई है। परिषद ने वेदांत, धर्मशास्त्र और ज्योतिष के तीन विद्वानों के नामों पर मुहर लगाई है, जो भूमि और शिला पूजन शास्त्रीय विधि से संपन्न कराएंगे।इन्हें मिली पूजन कराने की जिम्मेदारीविद्वत परिषद के संयोजक और बीएचयू के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि बीएचयू संस्कृत विद्या धर्म संकाय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय, प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय और खुद मैं अयोध्या में भूमि पूजन के समय रहूंगा। उन्होंने बताया कि भूमि व शिला पूजन के लिए चार बिंदु अहम हैं। उसी के आधार पर पूजन होगा।ये हैं पूजन के प्रमुख चार चरण-सुबह 8.30 बजे गणपति का पूजन।
भगवान भास्कर समेत नवग्रहों का पूजन।
5 नदियों के जल से पूजन होगा। प्रयागराज की त्रिवेणी, अयोध्या से सरयू और नर्मदा के जल लाया जाएगा।
वरुण, इंद्र समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन।प्रोफेसर विनय पांडेय।
शुभ मुहुर्त में होगा शिलान्यासबीएचयू के प्रो. विनय पांडेय ने बताया कि अभिजीत मुहूर्त यानी मध्यान्ह काल होता है। एक दिन में 15 मुहूर्त होते हैं। 5 अगस्त को अयोध्या में 5.31 बजे सुबह सूर्योदय होगा और शाम 6.41 बजे पर सूर्यास्त होगा। इसके बीच का समय करीब 13 घंटा 10 मिनट का होगा, जिसे 15 से भाग करने पर करीब 53 की संख्या मिलती है। यानी 53 मिनट।शुरू के 7 मुहूर्त और बाद के 7 मुहूर्त को छोड़ दीजिए तो बीच के आठवें मुहूर्त को मध्यान्हकाल कहते हैं। 5 अगस्त को मध्यान्हकाल 11 बजकर 40 मिनट 29 सेकेंड से 12.बजकर 33 मिनट 9 सेकेंड तक होगा। इसी बीच प्रभु श्रीराम का जन्म भी हुआ था। काशी से हम सभी लोग शास्त्रीय मत और जानकार के रूप में वहां मौजूद रहेंगे। काशी विद्वत परिषद से हम लोगों के जाने की सूचना मिली है।