प्रयागराज-लवकुश शर्मा
प्रयागराज-पत्रकारों के साथ जो अमानवीय व विभत्स रूप पुलिस द्वारा प्रदर्शित किया गया वह बहुत ही शर्मनाक घटना है। पुलिस को “पुलिस रेगुलेशन एक्ट व आईपीसी, सीआरपीसी”की किसी भी धारा में यह परमिशन नहीं है कि किसी भी व्यक्ति को मारे या पीटे व असंसदीय शब्द, गाली आदि का प्रयोग करें। पत्रकार के बारे में माननीय सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी है कि “पत्रकार भीड़ का अंग नहीं होता है”. वह समाज का एक महत्वपूर्ण अंग होता है. कार्यपालिका, व्यवस्थापिका,न्यायपालिका की तरह पत्रकारिता भी समाज का चौथा स्तंभ होता है. प्रयागराज के गंगा पार स्थित सराय इनायत थाने में पुलिस द्वारा अजय विश्वकर्मा पत्रकार व उसके पत्नी व पारिवारिक जनों के साथ जिस तरह का कुंठित मानसिकता से व्यवहार करते हुए मारा- पीटा गया है यह घोर निंदनीय है। महिलाओं का जो बयान वीडियो फुटेज के आधार पर है यह बताता है कि पुलिस तानाशाही रवैया अख्तियार कर लोकतंत्र का गला घोटने पर तुली है। मैं इलाहाबाद जनपद के ग्रामीण, शहर व मंडल के सभी पत्रकारों से निवेदन करता हूं कि जो दरोगा आकाश कुमार राय वह महिला कांस्टेबल द्वारा इंस्पेक्टर संजय द्विवेदी के सरपरस्ती में न्यूज़ चैनल अजय कुमार विश्वकर्मा पत्रकार व उसके पत्नी व परिवारिक जनों के साथ अमानवीय, असंसदीय व्यवहारिक रूप प्रकट किया गया है, इसके खिलाफ लामबंद होकर पुलिस के बड़े अधिकारियों को सीधे बर्खास्तगी की मांग की जानी चाहिए।आप सभी पत्रकार बंधु अपने स्वाभिमान ,सम्मान और अस्तित्व की रक्षा हेतु प्रातकाल 10:30 के तकरीबन मेरे कार्यालय में आए पुलिस के उच्च अधिकारियों द्वारा सीधे दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर बर्खास्तगी की मांग की जाए
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