लखनऊ । सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि उ प्र में जहां एक ओर सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। गांवों से मार्गों की कनेक्टिवीटी का काम बहुत तेजी के साथ चल रहा है, वहीं नदियों, रेलवे लाईनों के ऊपर पुलों का निर्माण करके गंतव्य स्थलों की दूरी न्यूनतम की जा रही है। इससे किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों और आम जनता को अपने गंतव्य स्थलों में पहुंचने में बेशक बहुत आसानी होगी। उ0प्र0 ब्रिज कार्पोरेशन जहां उ0प्र0 में बहुतायात संख्या में पुलों का निर्माण कर रहा है, वहीं उत्तराखण्ड के हरिद्वार व महाराष्ट्र के मुम्बई में भी ब्रिज कार्पोरेशन की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। गौरतलब है कि ब्रिज कार्पोरेशन ने देश ही नहीं विदेशों में भी जैसे-नेपाल, इराक और यमन तक पुलों के निर्माण कार्य किये हैं।
श्री मौर्य ने बताया कि पिछले तीन सालों में प्रदेश में रू0 4,92,130.08 लाख की धनराशि से 150 बड़े पुलों (नदी सेतु/आर0ओ0बी0/फ्लाईओवरों) का निर्माण कार्य पूर्ण कराया है, जिसमें जिसमें 98 नदी सेतु, 46 आर0ओ0बी0 तथा 6 फ्लाईओवर हैं। 98 नदी सेतुओं का निर्माण रू0 2,54,895.60 लाख की लागत से 46 आर0ओ0बी रू0 1,79,081.99 लाख की लागत से, 06 फ्लाईओवर का निर्माण रू0 58,152.49 लाख की लागत से पूर्ण कराया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि उ0प्र0 में 266 दीर्घ नदी सेतु/उपरिगामी सेतु/रेल उपरिगामी सेतु निर्माणाधीन हैं, जिनकी कुल लागत रू0 10,16,051.54 लाख है। उपमुख्यमंत्री ने इन सभी सेतुओं को निर्धारित समय सीमा के अन्दर अनिवार्य रूप से पूरा करने के निर्देश सभी सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं। इन 266 सेतुओं में 168 दीर्घ नदी सेतु, 6 मार्ग उपरिगामी तथा 92 रेल उपरिगामी सेतु निर्माणाधीन हैं। वर्ष 2020-21 में 102 दीर्घ नदी सेतु/मार्ग उपरिगामी सेतु/रेल उपरिगामी सेतु निर्मित कराये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिनकी कुल लागत 3,69,889.97 लाख है।
प्रबन्ध निदेशक उ0प्र0 राज्य सेतु निगम अरविन्द कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि लाॅकडाउन के कारण बीच में कार्य रोक दिये गये थे। अब लखनऊ सहित प्रदेश की ज्यादातर परियोजनाओं पर कार्य सामाजिक दूरी बनाये रखते हुये प्रारम्भ कर दिया गया है और अधिक से अधिक कामगारों/श्रमिकों को काम दिया जा रहा है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि लोक निर्माण विभाग, राज्य सेतु निगम व उ0प्र0 राजकीय निगम लि0 में रू0 35,81,104.66 लाख लागत की 2640 परियोजनाओं पर बहुत तेजी से कार्य चल रहा है और अधिक से अधिक मजदूरों/श्रमिकों को काम देकर उन्हे स्वावलम्बी व आत्मनिर्भर बनाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है।