लॉक डाउन मे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने सैकड़ो मजदूरो ने डाला डेरा

सोनभद्र। भले ही सरकार ने कोरोना लॉक डाउन मे 20 लाख करोड़ की भारी भरकम रुपया देश मे फैली महारि से अर्थ व्यवस्था को बचाने मे लगी हो । केंद्र की सरकार हो या राज्य की सरकार सभी का ध्यान मजदूरो पर फोकस है । जिससे जान और जहान दोनो की रक्षा हो सके । इसके लिए सरकार ने मनरेगा के तहत गाँव गाँव मे काम शुरू करा दिया है । मजदूरो के भले के लिए शुरू की गयी सभी योजनाओ का लाभ आम लोगो तक पहुँच पाती है? या नही । कुछ भर्ष्टाचारि प्रधान व अधिकारियो के कारण मजदूरो को भूखे रहने की नौबत आ गयी है ।

हमारे देश कि सबसे बड़ी आबादी गांवो में ही रहती है और शायद गांवो को ही सोचकर देश का आम बजट बनाया जाता है। लेकिन क्या यह सही मायने में देश की योजनाओ का लाभ आम लोगो तक पहुँच पाता है या फिर योजनाओ का पैसा बीच में ही गुल हो जाता है।

लॉक डाउन मे भी गरोबो के हक का निवाला छिन कर अपनी तिजोरी भरने मे लगे है भर्ष्टाचारी ।

लॉक डाउन मे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने सैकड़ो मजदूरो ने डेरा डाल रखा है । मजदूरो का कहना है की एक महिने से लगातार मजदूरी करने के बाद भी मजदूरी नही मिली और ना ही प्रधान व सेक्रेटरी द्वारा कार्य दिवस की हाजरि ली गयी। प्रधान व अधिकारियो पर भर्ष्टाचार का आरोप लगाया । मजदूरो का कहना है की प्रधान व सेक्रेटरी ने मिल कर 46 ऐसे लोगो को नौकरी पेशा, बड़े कास्तकारो के खाते मे मजदूरी का रुपया भेजा दिया । जिसने कभी काम नही किया।

हम सभी ने काम किया हमारा पैसा नही आया । हम भूखे रह रहे है ।

एक महिने से लगातार मजदूरी करने के बाद भी मजदूरी नही मिली और ना ही प्रधान व सेक्रेटरी द्वारा कार्य दिवस की हाजरि ली गयी। प्रधान व अधिकारियो पर भर्ष्टाचार का आरोप लगाया । मजदूरो का कहना है की प्रधान व सेक्रेटरी ने मिल कर 46 ऐसे लोगो को नौकरी पेशा, बड़े कास्तकारो के खाते मे मजदूरी का रुपया भेजा दिया । जिसने कभी काम नही किया।

हम सभी ने काम किया हमारा पैसा नही आया । हम भूखे रह रहे है ।

Vo 4:- हम मजदूरी करते है तो खाते है नही करते है तो नही खाते है । एक महीना हो गया एक भी रुपया नही मिला है । प्रधान व सेक्रेटरी कहते है जाओ यहाँ से पैसा नही है।

देखीये इस चश्मा लगाये बुजुर्ग को आंख से और कां से कम दिखाई देता है लेकिन पेट के लिए काम करना जरुरी है तभी पैसा मिलेगा जिससे दो वक्त की रोटी का जुगाड हो सकेगा । इस बुजुर्ग ने भी एक महीना काम किया लेकिन एक भी पैसा नही मिला अब भूखे रहने की नौबत आ गयी है ।

हम लोगो को एक महीना हो गया काम करते हुये हमे एक पैसा नही मिला हमको खाने के लाले पड गए है । जिसने काम नही किया बड़े काश्तकार है नौकरी करते है उनको बिना काम किये पैसा मिल गया । हम भूखे रह रहे है ।

खण्ड विकास अधिकारी निरंकार मिश्रा ने बताया की मजदूरो का मैन डेज जॉब कार्ड पर नही चढा था उसे चढ़वाया जा रहा है। मजदूरो के आरोप को निराधार है । नौकरी पेशा वाले लोगो को अगर भगतान किया गया होगा तो दोषियो पर कार्यवाही होगी ।

बहरहाल अब यह देखना है की लॉक डाउन मे भी गरीबो के हक का निवाला भर्ष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है या गरीबो के लिए बनायी गयी योजनाओ का लाभ मजदूरो को मिल पाता है ।

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