एसडीएम ने मेडिकल कालेज के जमीन के कागजात में हेरा-फेरी के मामले में  लेखपाल को किया निलंबित

जिले के नागरिक जमीन सम्बन्धी हेरा-फेरी की जानकारी सीधे सम्बन्धित अधिकारी को दे-डीएम

डीएम की हनक रंगत लायी

सोनभद्र। जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने पाया कि प्रस्तावित मेडिकल कालेज से सम्बन्धित जमीन में हेरा-फेरी राजस्व लेखपाल व अन्य कार्मिकों द्वारा मिलीभगत करके की गयी, जिसमें मुख्य भूमिका राजस्व लेखपाल की जॉच के बाद दोशी सिद्ध पायी गयी। जिलाधिकारी ने बताया कि अपचारी लेखपाल विष्णु चन्द्र द्विवेदी को सुनवाई का पूरा-पूरा मौका नैसर्गिक न्याय के तहत दिया गया। अपचारी लेखपाल को पहले ही निलम्बित किया गया था और दोष सिद्ध पाये जाने पर उप जिलाधिकारी/नियुक्ति एवं दण्डाधिकारी राबर्ट्सगंज यमुनाधर चौहान द्वारा तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दी गयी। जिलाधिकारी ने जिले के नागरिकों से अपील किया है कि जिले में सरकारी जमीनों की हेरा-फेरी की जानकारी सीधा बिना देर किये उप जिलाधिकारी राबर्ट्सगज-9454416845, दुद्धी-9454416846 व घोरालव-9454416847 व तीनों तहसीलों के तहसीलदारों के सरकारी नम्बरों पर बेहिचक जानकारी दे सकते हैं। जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने बताया कि बर्खास्त किये गये लेखपाल विष्ण चन्द्र द्विवेदी के ऊपर पांच संगीन आरोप थे, जिसमें प्रथम आरोप यह था कि उसके द्वारा 12 अक्टूबर,19 को शिवकुमारी देवी पत्नी राज कुमार यादव से उनकी भूमिधरी, भूमि आराजी नम्बर 800ख/0.0126 हेक्टेयर भूमि प्रस्तावित मेडिकल कालेज के पक्ष में बैनामा कराया गया, जबकि यह भूमि पहले से ही शिवकुमारी देवी ने 26 जून, 2019 को फूलपत्ती देवी पत्नी श्यामलाल गुप्ता को बैनामा कर दी थी, जिस पर क्षेत्रीय लेखपाल के रूप में 28 अगस्त, 2019 को खरीदने वाले के हक में नामांन्तरण की कार्यवाही व स्थानान्तरण रिपोर्ट पेश की गयी, जबकि लेखपाल द्वारा बिक्रेता राजकुमारी से मेडिकल कालेज के पक्ष में पुनः 12 अक्टूबर,19 को उसी जमीन का बैनामा करा दिया गया। अपचारी रिपोर्ट के मुताबिक शिवकुमारी देवी पत्नी राजकुमार को उनके खाते में पूर्व में ही बेचे गये क्षेत्रफल 0.0126 हेक्टेयर के लिए 6 लाख रूपये इनके खाते में स्थानान्तरित की जा चुकी थी। यदि समय से आपत्ति प्राप्त नहीं होती तो उस हालत में 6 लाख रूपये के धनराशि का राज्य सरकार की नुकसानी हो गयी होती, इसी तरह से बेची गयी जमीन को मेडिकल कालेज के पक्ष में बिकेता से दुरभिसंधि करके कालेज के पक्ष में पुनः बैनामा कराने में लेखपाल की मिलीभगत और संलिप्तता पायी गयी, जो उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली-1956 के नियम-3 का उल्लंघन और दोषी पाया गया। इसी प्रकार से अपचारी लेखपाल के ऊपर दूसरा यह आरोप था कि बिक्रेता शिवकुमारी देवी का दूसरा आराजी नम्बर-803ख में रकबा 0.0253 हेक्टेयर का दिनांक 11 सितम्बर, 2019 को रश्मि सिंह पत्नी विष्णु कुमार सिंह पुत्री राजेन्द्र बहादुर सिंह के पक्ष में बिक्रय बैनामा किया गया था, जिसे 12 अक्टूबर,2019 को पुनः मेडिकल कालेज के पक्ष में प्रस्ताव के आधार पर बैनामा करा दिया गया। अपचारी लेखपाल के रिपोर्ट के आधार पर शिवकुमारी देवी पत्नी राजकुमार को उनके खाते में पूर्व में ही बेचा गया क्षेत्रफल 0.0253 हेक्टेयर के लिए धनराशि 12 लाख इनके खाते में हस्तांतरित की जा चुकी थी। अगर समय से आपत्ति प्राप्त नहीं होती तो उस हालत में 12 लाख रूपये की नुकसानी राज्य सरकार की हो गयी थी, इस तरह बिक्री शुदा जमीन को मेडिकल कालेज के पक्ष में बिक्रेता से दूरभिसंधि करके पुनः बिक्रय कराये जाने की जानकारी पहले से होने के कारण मिलीभगत एवं संलिप्तता का दोषसिद्ध पाया गया। अपचारी लेखपाल विष्ण चन्द्र द्विवेदी के ऊपर तीसरा आरोप यह था कि विक्रेता शिवकुमारी देवी का दूसरा आराजी नम्बर-803ख में रकबा 0.0253 हेक्टेयर का 11 सितम्बर, 2019 को निधि सिंह पत्नी राकेश कुमार के पक्ष में विक्रय बैनामा के द्वारा किया जा चुका था, जिसे 12 अक्टूबर, 2019 को दोबारा मेडिकल कालेज के पक्ष में अपचारी कर्मचारी के रिपोर्ट के आधार पर बैनामा करा दिया गया। अपचारी कर्मचारी के रिपोर्ट के आधार पर शिवकुमारी देवी पत्नी राजकुमार को उनके खाते में पूर्व में ही बेचे गये क्षेत्रफल 0.0253 हेक्टेयर की रकम 12 लाख इनके खाते में हस्तांतरित की जा चुकी थी, यदि समय रहते आपत्ति प्राप्त न होती तो यकीनन 12 लाख की नुकसानी राज्य सरकार की हो चुकी थी। इस आरोप में भी अपचारी लेखपाल के ऊपर लगाये गये आरोप दोषसिद्ध पाये गये। चौथा आरोप लेखपाल के ऊपर यह था, कि जिला चिकित्सालय, सोनभद्र को उच्चीकृत राजकीय मेडिकल कालेज बनाये जाने के लिए उपयुक्त भवन के चयन हेतु जिलाधिकारी के आदेश दिनांक 24 सितम्बर,2019 के अन्तर्गत आदेशित किया था कि वर्तमान में संचालित संयुक्त जिला चिकित्सालय के 10 कि0मी0 की परिधि के अन्तर्गत किसी भी प्रकार की ग्राम सभा की भूमि उपलब्ध हो तो उसकी सूचना उप जिलाधिकारी राबर्ट्सगंज को दी जाय, मगर स्पष्ट आदेश के बावजूद भी स्थलीय निरीक्षण के दौरान ग्राम लोढ़ी स्थित आराजी नम्बर-1170क/ 3.5410 हेक्टेयर के सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों को जानकारी नही दी गयी और ना ही उस जगह का निरीक्षण कराया गया। दूरभिसंधि कर ग्राम रौप स्थित पूर्व में बेची गयी जमीन को निजी काश्तकार को अनियमित और अनुचित फायदा पहुंचाने के मकसद से प्लाट नम्बर-1170क को नहीं दिखाया गया, जो ग्राम सभा की जमीन थी। लेखपाल द्वारा पंचमुखी स्थित पहाड़ को भी दिखाया गया और जान बुझकर प्लांट नम्बर-1170क को नहीं दिखाया गया, जिसमें उच्चाधिकारियों से तथ्यों को छुपाने, पदीय दायित्यों का निर्वहन न करने का दोषी पाया गया। इसी प्रकार से अपचारी लेखपाल के ऊपर पांचवा आरोप यह था कि उसके द्वारा न्यायालय नायब तहसीलदार राबर्ट्सगंज में संस्थित नामांतरण मुकदमा संख्या-टी0 201916660103630 सत्यभामा बनाम लल्लू अन्तर्गत धारा-35 उ0प्र0रा0सं0-2006 में अंकित रिपोर्ट दिनांक 09 अगस्त, 2019 में बिक्रेता लल्लू पुत्र तनगू निवासी लोढ़ी राबर्ट्सगंज की जाति खरवार/अनुसूचित जनजाति अंकित की गयी, जबकि उसी न्यायालय में संस्थित नामांतरण वाद संख्या-201916660102360 सलमान खान बनाम लल्लू अन्तर्गत धारा-35 उ0प्र0रा0सं0-2006 में अंकित रिपोर्ट 24 मई, 2019 में उसी बिक्रेता लल्लू पुत्र तनगू निवासी लोढ़ी सोनभद्र की जाति कहार/अन्य पिछड़ी जाति का बताया गया है, जिससे लेखपाल विष्णु चन्द्र द्विवेदी की संलिप्तता साबित हुई। जॉच के दौरान धोखाधड़ी, जालसाजी, सत्यनिष्ठा संदिग्ध पाया गया, जो उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली-1956 के नियम-3 का उल्लंघन पाया गया। जिलाधिकारी श्री एस0 राजलिंगम ने बताया कि पूरा-पूरा मौका देने के बाद यह पाया गया कि अपचारी कर्मचारी पर लगाये गये आरोप पूर्णतया दोषसिद्ध हैं। अपचारी कर्मचारी यानी विष्णु चन्द्र द्विवेदी का क्रियाकलाप सरकारी सेवा में बने रहने योग्य नहीं है। इसलिए निलम्बित लेखपाल की सेवा समाप्त करते हुए निलम्बन अवधि का वेतन अदेय करते हुए बर्खास्त किया गया। जिलाधिकारी ने बताया कि उक्त प्रकरण में सम्बन्धित पेशकार व सम्बन्धित न्यायालय के अधिकारी की भूमिका की भी कार्यवाही की जानी है।

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