भूख हड़ताल कर सरकार से मजदूरों के जीवन सुरक्षा की मांग की-विजय शंकर यादव

सोनभद्र।भारतीय मजदूरों की लॉक डाउन में दुर्दशा देख भुख हड़ताल पर बैढे भारतीय जनता मजदूर ट्रेड यूनियन के राष्टीय सयुक्त सचिव पूर्व छात्र नेता सामाजिक कार्यकर्ता विजय शंकर यादव ने कहा कैसे घर पर भोजन करू जब सड़को पर मजदूरों की आये दिन मौत हो रही हो।मजदूर भारत की अर्थव्यवस्था की नींव है यदि सरकार मजदूरों की उपेक्षा कर रही है तो भविष्य में मजबूत अर्थब्यवस्था भी नही मिल पायेगी।

भारत मे मजदूरों को प्रवासी कह कर सम्बोधित किया जा रहा है जो उचित नही है। आज देश के विकसित राज्य गुजरात महाराष्ट्र दिल्ली पंजाब हैदराबाद इत्यादि आज आर्थिक मजबूती पर खड़े है वो मजदूरों की देन है जो यूपी बिहार मध्यप्रदेश झारखण्ड इत्यादि प्रदेशो से जा कर वहाँ के विकाश में योग दान दिया। आज लॉक डाउन संकट की घड़ी में इन मजदूरों को प्रवासी कह कर सड़को व रेल की पटरियो पर पैदल चलने को मजबूर कर दिया। आये दिन दुर्घटना से मौत हो रही है निरीह मजदूरों की
रेल हादसा सड़क हादसा मजदूरों के जीवन के साथ खेलवाड़। कब तक चुप्प रहे इंसानियत।
हम जो कर सकते है वो करेगे क्योकि हम आत्मा के साथ जिन्दा है। लॉक डाउन का पालन करते हुए अपने आवास पर एक दिवसीय भूखहड़ताल कर सरकार से मांग की
1 लॉक डाउन के दौरान रेल पटरी सड़क हादसा इत्यादि अन्य किसी भी दुर्बयवस्था के कारण यदि मजदूरों की दुर्घटना ग्रस्त मौत हुई है तो उनके परिवार को 25 लाख मुवावजा एक परिवार को नौकरी दे सरकार।
2 जो मजदूर अपने घर जाना चाहते है उनको सरकारी खर्चे से घर भेजे सरकार।
आज घर पर एक दिवसीय भूख हड़ताल कर रहा हूं। हालात में सुधार नही हुए तो आगे भी भुख हड़ताल करूँगा।

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