योगी सरकार की मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

संजय द्विवेदीलखनऊ: ।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज यहां उनके सरकारी आवास पर सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-उ0प्र0 लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश, 2020 का प्रारूप अनुमोदित मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश, 2020’ के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने यह भी निर्णय लिया है कि इसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख्य पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त करने के पश्चात राज्य विधानमण्डल के आगामी सत्र में पुरःस्थापित/पारित कराया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में विश्व तथा भारत वर्ष कोविड-19 महामारी से ग्रस्त है। उत्तर प्रदेश में कोविड-19 महामारी की रोकथाम एवं बचाव हेतु युद्ध स्तर पर कार्यवाही की जा रही है। कोविड-19 की रोकथाम एवं बचाव में लगे हुए कर्मियों यथा स्वास्थ्य सेवा कर्मियों, पुलिस, प्रशासनिक तथा अन्य कर्मियों के विरुद्ध हमला करने तथा आपत्तिजनक बर्ताव किये जाने तथा रोग ग्रस्त व्यक्तियों द्वारा स्वयं को रोग से छिपाने, इलाज से बचने तथा अस्पतालों से भागने की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने की घटनाएं भी प्रकाश में आ रही हैं। पीड़ित व्यक्तियों की प्रभावी जाॅच, पृथक्करण और उपचार के लिए उपबंध करना आवश्यक है।
राज्य सरकार द्वारा महामारी तथा ऐसे रोग नियंत्रण सम्बन्धी उपायों के निमित्त विभिन्न प्रकार के कार्य करने या उनमें चूक करने एवं व्यवधान डालने हेतु प्रभावी तथा भयकारी शास्तियों का उपबंध करना आवश्यक हो गया है। कोविड-19 महामारी की रोकथाम एवं बचाव हेतु प्रभावी नियंत्रण हेतु राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश, 2020 प्रख्यापित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
——-उ0प्र0 लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली नियमावली, 2020 अनुमोदित मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश, 2020’ की धारा-26 के प्राविधानों के अधीन बनाई गई ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली नियमावली, 2020’ को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश, 2020’ की धारा-26 में यह प्राविधान किया गया है कि राज्य सरकार इस अध्यादेश के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिए अधिसूचना द्वारा नियम बना सकती है।
इस नियमावली में हड़ताल, बन्द, दंगों, तत्सम्बन्धी लोक अशान्ति तथा प्रतिवादों के दौरान लोक तथा निजी सम्पत्ति की क्षतियों की वसूली करने और जुर्माना अधिरोपित करने तथा सम्पत्ति के सम्बन्ध में हुई क्षतियों का अनुसंधान करने हेतु दावा अधिकरण का गठन करने तथा तत्सम्बन्धी प्रतिकर अधिनिर्णीत करने हेतु नियम बनाए गए हैं।
इस नियमावली के नियम-9 में दावा अधिकरण का गठन, नियम 27 में दावा याचिका, नियम-33 में दावों की सुनवाई, नियम-43 में प्रतिकर की धनराशि विनिश्चित करने के नियम और अधिकरण द्वारा विनिश्चित की गई क्षतियों की धनराशि की वसूली का विधान किया गया है।
——-राज्य की विकास योजनाओं के लिए संसाधनों एवं वित्तीय आवश्यकता के दृष्टिगत डीजल एवं पेट्रोल पर कर की दर बढ़ाये जाने के सम्बन्ध में राज्य की विकास योजनाओं हेतु वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय लिया कि पेट्रोल पर नियत वैट की फिक्स राशि में 02 रुपये प्रति लीटर एवं डीजल पर नियत वैट की फिक्स राशि में 01 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की जाए अर्थात वैट की दर पेट्रोल पर 26.80 प्रतिशत या 18.74 रुपये प्रति लीटर, जो भी अधिक हो, तथा डीजल पर 17.48 प्रतिशत या 10.41 रुपये प्रति लीटर, जो भी अधिक हो, कर दी जाए।
——-वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए विभिन्न प्रकार की मदिरा के अधिकतम फुटकर मूल्य के ऊपर विशेष अतिरिक्तप्रतिफल शुल्क अधिरोपित करते हुए अधिकतम फुटकर मूल्य का पुनर्निर्धारण किये जाने के सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए निर्धारित आबकारी नीति के संदर्भ में विभिन्न प्रकार की मदिरा के अधिकतम फुटकर मूल्य के ऊपर विशेष अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क अधिरोपित करते हुए अधिकतम फुटकर मूल्य का पुनर्निर्धारण किये जाने का निर्णय लिया है।
इसके अन्तर्गत आबकारी विभाग द्वारा प्रदेश में स्थापित आसवनियों एवं यवासवनियों में उत्पादित देशी मदिरा/विदेशी मदिरा/बीयर एवं समुद्रपार आयातित विदेशी मदिरा/बियर पर विशेष अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क का अधिरोपण किया जाएगा। विभिन्न धारिताओं की देशी मदिरा/विदेशी मदिरा/बीयर/वाइन एवं एल0ए0बी0 की बोतलों पर प्रस्तावित विशेष अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क वसूली, सम्बन्धित बाण्ड अनुज्ञापनों/आसवनियों/यवासवनियों/एफ0एल0-2डी अनुज्ञापनों से दिनांक 11 मई, 2020 से प्रारम्भ होने वाली निकासियों पर किया जाएगा। प्रस्तावित विशेष अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क के अधिरोपण से वर्ष 2020-21 में लगभग 2350 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की सम्भावना है।
——-प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बांसी, सिद्धार्थनगर में 50 शैय्या चिकित्सालय के भवन निर्माण हेतु निष्प्रयोज्य भवनो के ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव स्वीकृत मंत्रिपरिषद ने जनपद सिद्धार्थनगर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, बांसी परिसर में 50 शैय्या चिकित्सालय के भवन निर्माण हेतु परिसर में स्थित निष्प्रयोज्य भवनांे के ध्वस्तीकरण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने ध्वस्तीकरण के पश्चात भवनों के पुस्तांकित मूल्य में से, मलबे के निस्तारण से प्राप्त धनराशि को समायोजित करते हुए, अनुमानित कुल धनराशि 44.22 लाख रुपये को बट्टे खाते में डाले जाने की भी अनुमति प्रदान की है।
——-वर्ष 2018-19 में किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान सुनिश्चित कराने की कार्यवाही से मंत्रिपरिषद को अवगत कराया गया पेराई सत्र 2017-18 के गन्ना किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान सुनिश्चित कराये जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018-19 में चीनी मिलों को 4.50 रुपये प्रति कुन्तल की दर से वित्तीय सहायता दिये जाने के सम्बन्ध में योजना लागू की गयी। इस योजना के अन्तर्गत की गयी कार्यवाही से मंत्रिपरिषद को अवगत कराया गया।
ज्ञातव्य है कि गन्ना किसानों के बकाये गन्ना मूल्य का त्वरित भुगतान सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से मंत्रिपरिषद की 25 सितम्बर, 2018 को सम्पन्न बैठक में प्रदेश की चीनी मिलों की वित्तीय तरलता में वृद्धि के लिए पेराई सत्र 2017-18 में चीनी मिलों द्वारा की गयी 1,111.90 लाख टन गन्ना खरीद के सापेक्ष 4.50 रुपये प्रति कुन्तल की दर से वित्तीय सहायता देने एवं इस धनराशि का गन्ना किसानों के खाते में सीधे भुगतान कराने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में 500 करोड़ रुपये की बजट धनराशि प्राविधानित की गयी थी।
इस योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्राविधानित धनराशि के सापेक्ष गन्ना किसानों को सीधे उनके खाते में गन्ना मूल्य का भुगतान करने हेतु निर्धारित कटआॅफ डेट के अन्तर्गत चीनी मिलों को दी गयी वित्तीय सहायता व अन्य कार्यवाहियों से मंत्रिपरिषद को अवगत कराया गया।
——-‘उ0प्र0 गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) (अट्ठाइसवां संशोधन) नियमावली, 2020’ अनुमोदित मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) (अट्ठाइसवां संशोधन) नियमावली, 2020’ को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) अधिनियम, 1953 की धारा-18 में प्रयुक्त शब्द ‘कमीशन’ के स्थान पर शब्द ‘अंशदान’, प्रतिस्थापित किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) (संशोधन) अधिनियम, 2019 के माध्यम से विधायी संशोधन किया गया है। इस विधायी संशोधन के अनुक्रम में अधिनियम की उक्त धारा-18 से सम्बन्धित उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) नियमावली, 1954 के अध्याय-10 के अन्तर्गत सुसंगत नियमों यथा-नियम-49, 49-क, 50 एवं नियम-51 में ‘कमीशन’ शब्द के स्थान पर ‘अंशदान’ किये जाने हेतु नियमावली में आवश्यक संशोधन किया जाना अपेक्षित हो गया।
——-उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी (संशोधन), अध्यादेश, 2020 का प्रारूप अनुमोदित मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी (संशोधन), अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है।
इसके तहत 46 फल व सब्जियों को मण्डी अधिनियम की अधिसूचना से पृथक कर दिया गया है। इन फल व सब्जियों में आम, सेब, हरी मटर, केला, अनार, पत्ता गोभी-फूल गोभी, मौसम्बी, अंगूर, पपीता, तरबूज, संतरा, बैगन, खीरा, कद्दू, लौकी, गाजर, अरवी, अमरूद, मूली, पेठे वाला कद्दू, भिण्डी, परवल, कच्चा कटहल, करेला, किन्नू, खरबूज, शकरकन्द, चीकू, लीची, आँवला, कुन्दरू, नाशपाती, जिमीकन्द, टिण्डा, बेर, माल्टा, आड़ू, हरी लोबिया, पका कटहल, चकोतरा, लोकाट, खुबानी, ब्रोकली, सिंघाड़ा, ग्रेप फ्रूट शामिल हैं।
इससे इन फल व सब्जियों का व्यापार पूरे प्रदेश में निर्बाध रूप से चल सकेगा तथा ग्राम्य स्तर से किसानों से खरीद भी हो सकेगी। ऐसा करते समय मण्डी परिसर में भी इन फल व सब्जियों के विपणन की सुविधा किसानों के लिए उपलब्ध रहेगी तथा वहां आने पर उन्हें मण्डी शुल्क के स्थान पर, राज्य सरकार द्वारा तय किया गया सेवा शुल्क (यूजर चार्ज) ही देय होगा। जिन फल-सब्जियों को अधिसूचना से बाहर किया जा रहा है, उससे मण्डी परिषद को लगभग 124.58 करोड़ रुपए वार्षिक राजस्व की हानि सम्भावित है, जिसे मण्डी परिषद अन्य अधिसूचित जिन्सों में प्रवर्तन करते हुए बढ़ाने का प्रयास करेगा।
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी अधिनियम, 1964 की धारा-7(2)(ख), 7(क)(3), 7(ङ), 9(क), 17(3)(ग) में संशोधन का निर्णय भी लिया गया है। उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी अधिनियम में इन संशोधनों से विशिष्ट प्रकार के लाइसेंसी/व्यापारियों/विपणन स्थलों को मण्डी परिषद के बाहर ही किसानों से खरीद की व्यवस्था हो सकेगी। साथ ही, वेयर हाउस/साइलो /शीतगृह जैसे स्थानों को मण्डी घोषित करने की व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जा सकेगा तथा विपणन की सुविधा बेहतर बनाने के लिए उप स्थल संचालित करने वाले व्यापारियों से यूजर चार्जेज/सेवा शुल्क वसूलने की व्यवस्था हो सकेगी। इसके अतिरिक्त मण्डी अधिनियम में संशोधन से एकीकृत लाइसेंस को ग्राम स्तर पर अपनी सुविधानुसार क्रय करने की सुविधा देने तथा पूर्व अनुमति के स्थान पर ऐसे क्रय स्थानों को मात्र सूचनार्थ उपलब्ध कराने की व्यवस्था व कृषक-उपभोक्ता विपणन व्यवस्था को बढ़ाने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र व मण्डी परिषद द्वारा कृषक-उपभोक्ता बाजार विकसित करने की व्यवस्था हो सकेगी।
यह निर्णय कोविड-19 के संक्रमण के परिप्रेक्ष्य में फल-सब्जी मण्डी को विकेन्द्रीकृत कर कृषि उपज को स्थानीय स्तर पर अथवा किसानों के डोर स्टेप पर क्रय करने की व्यवस्था को आगे बढ़ाने एवं मण्डियों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से लिया गया है। यह निर्णय किसानों की आय दोगुनी करने तथा कृषक हित में बाजार को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने में भी सहायक होंगे। मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी अधिनियम में संशोधन के निर्णय को अध्यादेश के माध्यम से लागू किये जाने का फैसला भी लिया है।
——-उ0प्र0 में लागू श्रम अधिनियमों से अस्थाई छूट प्रदान किए जाने विषयक अध्यादेश, 2020 को मंजूरी मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश कतिपय श्रम विधियों से अस्थायी छूट अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है।
वर्तमान में कोविड-19 वायरस महामारी के प्रकोप ने उत्तर प्रदेश में औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों की गति कम हो गयी है, जिसके कारण श्रमिकों के हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। चूंकि लाॅकडाउन की लम्बी अवधि में औद्योगिक प्रतिष्ठान, कारखाने व उनसे जुड़े औद्योगिक क्रियाकलाप तथा उत्पादन लगभग बन्द रहे हैं। औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों को पुनः पटरी पर लाने हेतु प्रदेश में नये औद्योगिक निवेश के अवसर पैदा करने होंगे तथा पूर्व से स्थापित पुराने औद्योगिक प्रतिष्ठानों व कारखानों में औद्योगिक क्रियाकलापों एवं उत्पादन आदि को गति प्रदान करनी होगी।
नये औद्योगिक निवेश, नये औद्योगिक प्रतिष्ठान व कारखाने स्थापित करने एवं पूर्व से स्थापित पुराने औद्योगिक प्रतिष्ठानों व कारखानों आदि के लिये प्रदेश में लागू श्रम विधियों से कुछ अवधि हेतु अस्थायी रूप से उन्हें छूट प्रदान करनी होगी। अतः आगामी तीन वर्ष की अवधि के लिए उ0प्र0 मंे वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में अस्थायी छूट प्रदान किया जाना आवश्यक हो गया है। इस हेतु ‘उत्तर प्रदेश कतिपय श्रम विधियों से अस्थायी छूट अध्यादेश, 2020’ लाया गया है।
इस अध्यादेश में समस्त कारखानों व विनिर्माण अधिष्ठानों को उत्तर प्रदेश में लागू श्रम अधिनियमों से तीन वर्ष की छूट प्रदान किये जाने का प्राविधान है। परन्तु यह छूट कुछ शर्तों के अधीन है, यथा बंधुआ श्रम प्रथा (उत्सादन) अधिनियम 1976, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम, 1923, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन व सेवा शर्तें विनियमन) अधिनियम, 1996 के प्राविधान लागू रहेंगे। बच्चों और महिलाओं के नियोजन से सम्बन्धित श्रम अधिनियम के प्राविधान भी लागू रहेंगे। वेतन संदाय अधिनियम, 1936 की धारा 5 के अन्तर्गत विहित समय सीमा के अन्तर्गत वेतन भुगतान का प्राविधान भी लागू रहेगा।
——राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की योजनाओं की निविदाओं की स्वीकृति के लिए अधिकारों का प्रतिनिधायन मंत्रिपरिषद ने राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की योजनाओं की निविदाओं की स्वीकृति के लिए अधिकारों के प्रतिनिधायन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। इसके अनुसार 01 करोड़ रुपये तक की निविदा स्वीकृति का अधिकार राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन, उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिशासी अभियन्ता को, 01 करोड़ रुपये से अधिक एवं 10 करोड़ रुपये तक की निविदा स्वीकृति का अधिकार राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन, उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर तैनात मुख्य अभियन्ता को, 10 करोड़ रुपये से अधिक एवं 25 करोड़ रुपये तक की निविदा स्वीकृति का अधिकार मिशन निदेशक, राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन, उत्तर प्रदेश को प्रदान किया जाएगा।
25 करोड़ रुपये से ऊपर की सभी परियोजनाओं के मूल्यांकन (इवैलुएशन) हेतु कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव वित्त, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव नियोजन, प्रमुख सचिव पंचायतीराज तथा प्रमुख सचिव न्याय विभाग इस समिति के सदस्य होंगे। प्रमुख सचिव, नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति विभाग समिति के सदस्य सचिव होंगे। समिति के अध्यक्ष द्वारा आवश्यकतानुसार किसी अन्य को भी समिति में सदस्य के रूप में नामित किया जा सकेगा। समिति की संस्तुति के उपरान्त प्रशासकीय विभाग द्वारा निविदा स्वीकृति की कार्यवाही की जाएगी।

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