सोनभद्र।(सीके मिश्रा/शिव प्रकाश पाण्डेय)जनता दल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष संतोष पटेल एड0 ने शुक्रवार को जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र सौंपते हुए कहा कि सदर एसडीएम की घोर लापरवाही के कारण केकेएन के धान क्रय केंद्र प्रबंधकों एवं बिचौलियों की मिली-भगत से फर्जी किसानों के नाम पर करोड़ों रू0 का घोटाला किया गया है।
फर्जी किसानों में से कुछ महिला किसानों के नामों को भी उजागर करते हुए श्री पटेल ने जिलाधिकारी से मजिस्ट्रेटी जांच की मांग की है। विगत दिनों श्री पटेल ने नाफेड द्वारा धान खरीद में करोड़ों रूपए के धान खरीद घोटाले की शिकायत जिलाधिकारी से किया था। जिसकी जांच डिप्टी आर.एम.ओ. द्वारा की जा रही है। अब यह ताजा मामला जनपद में संचालित उ0प्र0 कर्मचारी कल्याण निगम के तीनों क्रय केंद्रों- गोठानी- चोपन, परसोना- रावर्ट्सगंज तथा रामगढ़- चतरा पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धान खरीद में बडे़ पैमाने पर हुए फर्जीवाड़ा से जुड़ा है। इस फर्जीवाड़े की प्रमुख कड़ी के रूप में सदर उप जिलाधिकारी महोदय को कटघरे में खड़ा होना तय माना जा रहा है। किसानों की फसल बेचने के लिए आॅनलाइन पंजीयन कराना होता है। जिसमें प्रयुक्त खतौनी की जांच एवं उसे प्रमाणित करने का दायित्व एस.डी.एम. का होता है। जिसे सदर उप जिलाधिकारी ने बिना किसी जांच- पड़ताल के ही खतौनियों का गलत वेरीफिकेशन कर दिया। कुछ विचैलियों की मानें तो क्षेत्रीय लेखपाल किसी भी खतौनी को 1000-2000 रू0 की सुविधा शुल्क लेकर एस.डी.एम. से प्रमाणित कराकर दे देते थे। जो कि स्वयं सिद्ध भी है कि बिना किसी लालच के खतौनियों का गलत प्रमाणीकरण कैसे हो गया। श्री पटेल की मानें तो सदर एस.डी.एम. द्वारा खतौनियों का गलत तरीके से प्रमाणित किए जाने के कारण ही घोटाले का स्वरूप विकराल हुआ है। जदयू जिलाध्यक्ष के दावे तो यहां तक हैं कि ग्राम बगौरा परगना विजयगढ़ निवासी एक ही किसान बचानू का दोहरा पंजीकरण है। आॅनलाइन प्रक्रिया में यह कैसे संभव है, यह तो जांच का विषय है। किंतु गौर करने वाली बात है कि दोनों पंजीयनों पर धान खरीद किया गया है। इतना ही नहीं तीन महिलाआें समेत कुल चार ऐसे भी किसान हैं जिनका पंजीयन ही फर्जी है। अर्थात् बिना किसी पंजीयन के ही धान की खरीद की गयी है। फर्जी पंजीयनों के आधार पर धान की खरीदी कर किसानों एवं भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा करने वाली सरकार को भ्रष्ट अधिकारीगण दिन-दहाड़े मुंह चिढ़ा रहे हैं। धान खरीद का यह भ्रष्टाचार यहीं तक नहीं रूका। इससे एक कदम और आगे बढ़कर दो किसानों के ऐसे भी फर्जी पंजीयनों पर धान खरीदा गया जिन पंजीयनों में किसी भी खाता खतौनी का कोई रिकार्ड ही नहीं है। अर्थात् बिना खतौनी वाले फर्जी पंजीयनों पर भी खूब धान खरीद हुयी है। श्री पटेल ने धान खरीद के घोटाले पर खूब मेहनत किया है। जिसका परिणाम है कि घोटाले की परत दर परत खोलते हुए उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह से आवासीय खतौनियों एवं दूसरे की खतौनियों पर भी फर्जी तरीके से पंजीयन कर बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। जिसे प्रमाणित करते हुए श्री पटेल ने दावा किया कि पुसौली निवासी नीतू कुमारी ने 591 कुंतल धान परसौना और चोपन केंद्र पर ऐसी खतौनी के बदले बेचने का काम किया है। जो उनकी तो है नहीं, क्योंकि उक्त खतौनी में मकान बना हुआ है। जो श्री पटेल के ऐसे पड़ोसी की है जो न केवल गांव के ही पड़ोसी हैं, अपितु साईं हास्पिटल के सामने नगर पालिका रावर्ट्सगंज की सीमा में भी पड़ोसी हैं। इसके साथ दर्जन भर ऐसे फर्जी किसान हैं जिनकी खतौनियां या तो आवासीय हैं या किसी दूसरे की। इतना ही नहीं कुछ ऐसी भी खतौनियों पर बड़े पैमाने पर धान की खरीद की गयी है। जिनकी खतौनियां बहुत ही छोटी हैं। यह भी जांच का एक विषय है कि मानक के विपरीत बहुत ही छोटी खतौनी के सापेक्ष कई गुना ज्यादा धान की खरीद कैसे हो गयी। श्री पटेल ने जिलाधिकारी को उक्त बिंदुओं की शिकायत करते हुए मांग किया है कि धान खरीद घोटाले की मजिस्ट्रेटी जांच करायी जाय। निश्चित रूप से यदि धान खरीद घोटाले की डीएम ने कायदे से जांच करा दी तो श्री पटेल द्वारा केकेएन तथा नाफेड के घोटालों की जिस तरह से परतें खोली गयी हैं, निश्चित ही यह एक बहुत बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा। जिससे न केवल दोषियों को सबक मिलेगा अपितु भविष्य में किसानों को ऐसे घोटालों से निजात मिल सकेगी और सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त शासन का सपना मजबूत होगा।