जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से वास्तु विचार……
(वास्तु अपनाये समृद्धि व स्वास्थ लाभ पाये)
घर का मुख्य द्वार किसी अन्य के घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने न बनाएं।
घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाएं और आंगन का कुछ भाग मिट्टी वाला भी रखें, शुक्र शुभ होता है।
ईशान कोण किसी भी मकान का मुख कहलाता है। इस कोण को सदैव पवित्र रखना चाहिए।
रसोई घर मुख्य द्वार के ठीक सामने न बनाएं। ऐसा होने से अतिथियों का आवागमन होता रहता है। पूजागृह, शौचालय व रसोईघर के दरवाजे एक साथ न बनवाएं।
विद्युत उपकरण आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें।
घर में टूटे-फूटे बतरन, टूटा दर्पण, टूटी चारपाई न रखें इनमें दरिद्रता का वास होता है, रात्रि में बर्तन झूठे न रखें।
दर्पण, वास बेसिन व नल परब, उत्तर या ईशान कोण में रखें।
सैप्टिक टैंक वायव्य कोण या आग्नेय कोण में रखें।
किसी भी मकान में दरवाजे व खिड़कियां ग्राउण्ड फ्लोर में ही अधिक रखें। उसके बाद प्रथम, द्वितीय मंजिलों में कम करते जाएं।दरवाजे के उपर ही दरवाजा आये।
बच्चों के अध्ययन की दिशा उत्तर या पूर्व होती है, यदि बच्चे इन दिशाओं की ओर मुंह करके अध्ययन करें तो स्मृति बनी रहती है।
घर में पोछा लगाते समय पानी में सांभर नमक या सेंधा नमक डाल लें, इससे कीटाणु पैदा नहीं होंगे।
कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें। इससे देह पीड़ा (खासकर सिर दर्द) होती है।
जल निकास उत्तर, पूर्व, में शुभ होती है।
यदि घर में घड़ियां हैं और वे ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें ठीक करा लें।
घड़ी गृहस्वामी के भाग्य को तेज या मंदा करती है।
पूजागृह व शौचालय सीढ़ियों के नीचे न बनाएं।
वास्तुदोष निवारण का अतिसुगम उपाय यह है कि घर में वास्तु पूजन विधान हवन करवाएं।वास्तु आचार्य को दिखाये।
शयन करते समय सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है ।
उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होती है ।पूर्व की ओर सिरहाना रखने से विद्या, दक्षिण की ओर रखने से धन व आयु की बढोत्तरी होती है।
अन्नागार, गौशाला, रसोईघर, गुरू स्थल व पूजागृह जहां हो उसके ऊपर शयनकक्ष न बनाएं। यदि वहां शयनकक्ष होगा तो धन-संपदा का नाश हो जाएगा।
सवेरे पूर्व दिशा में व रात्रि में पश्चिम दिशा में मल-मूत्र विसर्जन करने से आधा सीसी का रोग होहोने की सम्भावना होती है।
घर में बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। यदि मूर्ति रखनी है तो वह एक बालिस्त जितनी ही होनी चाहिए, अर्थात बारह अंगुल जितनी बड़ी हो।
घर के पूजन कक्ष में किसी भी देवता की एक से अधिक मूर्ति न रखें ।
पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु, दक्षिण की ओर मुंह करके भोजन करने से प्रेत, पश्चिम की ओर मुंह करके भोजन करने से रोग,उत्तर की ओर मुंह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है ।
घर में सात्त्विक प्रवृत्ति के पक्षियों के जोड़े वाला चित्र रखें, इससे परिवार का वातावरण माधुर्य पूर्ण रहेगा।
घर के मुख्य द्वार पर नीबू या संतरे का पौधा लगाएं, ये पौधे संपदा बढ़ाने वाले होते हैं।
घर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में सिक्कों वाला धात्विक कटोरा अर्थात् धातु का कटोरा रखें, और उसमें ऐसे सिक्के जो मार्ग में पड़े मिले हों डालते जाएं। ऐसा करने से घर में आकस्मिक रूप से धनागम होने लगेगा।
घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर पौधे लगाएं। परिवार के सदस्यों में माधुर्य भाव बना रहे, इसके लिए सभी सदस्यों का एक हंसमुख सामूहिक चित्र ड्राइंगरूम में लगाना चाहिए।
घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें । खासकर भोजन कक्ष में झाडू नहीं रखनी चाहिए। इससे अन्न व धन की हानि होती है।
रात्रि में झाडू को उलटी करके घर के बाहर मुख्य दीवार के सामने रखने से चोरों का भय नहीं रहता।
पति-पत्नी में माधुर्य संबंधों के लिए शयनकक्ष के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में प्रेम व्यवहर करते पक्षियों का जोड़ा रखना चाहिए।
शौच से निवृत्त होने के बाद शौचालय का द्वार बंद कर दें, यह नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
दिन में एक समय परिवार के सभी सदस्यों को एकसाथ भोजन करना चाहिए। इससे परस्पर
संबंधों में प्रगाढ़ता आती हैं।