(रामजियावन गुप्ता)
— एक महीने से क्षेत्रीय जंगलों और ग्रामीण इलाके में हाथियों का तांडव लाखों की फसल बर्बाद किसान चिंतित
बीजपुर, सोनभद्र, एक महीने से इलाकेे के जंगलों में डेराडाले जंगली हाथियों का झुंड आखिर वन विभाग को चकमा देकर नेमना के जंगल से निकलकर डोडहर ग्राम पंचायत के डूमरचुआ टोले में जा पहुंचा। विभाग के कर्मी हाथियों को छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की ओर खदेड़ने के लिए नेमना के जंगलों में रात भर डीजे बजाते रह गए लेकिन हाथी नकटू पट्रोल पम्प के पास रिहायसी इलाके से होते हुए देर रात बीजपुर-रेनुकूट बस मार्ग को पार कर कई बस्तियों से होते हुए रिहंद डैम के तट पर पहुंच गए वन महकमा नेमना के जंगलों में ही हाथियों को खोजते रहा जब ग्रामीणों ने वन विभाग को डूमरचुआ में हाथी होने की खबर दी तो विभाग के हाथ पांव फूल गए और तब भोर में वन महकमा डैम किनारे पहुंच सका।रास्ते मे जरहां ग्राम पंचायत के काजरपानी टोले में हाथियों ने जमकर उत्पात मचा
या। ग्रामीण पारसनाथ पाल, रामअजोर पाल, मानसिंह व गोपी पाल के पपीते व केला के पेड़ उखाड़ दिए व धान व अहरर की फसल बर्बाद कर दी।डूमर चुआ में विष्णु गुप्ता,हरिश्चंद्र गुप्ता की धान की फसल व मकानों को ढाह दिया।रात में हाथियों के दहाड़ने की आवाज से भयभीत ग्रामीण घरो में ताला बंद कर भाग खड़े हुए।जब हाथियों का झुंड डैम के पानी मे घुसे तो कुछ ग्रामीण बच्चे नजदीक पहुंच गए तो बच्चों ने विभाग को सूचना दी कि एक हाथी का बच्चा पानी मे मरा हुआ है जिसकी घेराबंदी हाथी किये हुए है।हाथी के बच्चे के मरने की खबर सुन वन विभाग की सांस अटक गई परन्तु किसी मे हिम्मत
नही हो पा रही थी कि डैम किनारे पहुंच कर हाथी के बच्चे के मरने की पुष्टि कर सके ।डूमरचुआ गांव में वन विभाग के साथ बीजपुर प्रभारी निरक्षक एस बी यादव भारी पुलिस फोर्स के साथ पूरे दिन डटे रहे डैम किनारे बसे लोगो को पालतू जानवरों के साथ वहाँ से हटा दिया गया है । हाथियों का झुंड कभी डैम के पानी मे तो कभी बाहर निकल कर लगभग 500 मीटर दौड़ लगा कर पास खड़ी फसलो को बर्बाद कर वापस डैम में घुस रहे थे एक हाथी लगातार डैम में ही खड़ा रहा मानो वो कुछ ढूंढ रहा हो पानी मे ही छटपटा रहा था नेमना के जंगलों से निकल कर हाथियों का झुंड सड़क पार कर डैम किनारे पहुंचना चर्चा का विषय बना रहा और वन विभाग नेमना के जंगलों की खाक छानते रह गया। आखिर जिसका डर था वही हो गया नेमना के जंगलो से निकल कर हाथी आबादी की ओर बढ़ चले लोगो को उम्मीद थी कि नेमना जंगल से ही हाथियों के झुंड को छत्तीसगढ़ या मध्यप्रदेश के जंगलों में खदेड़ दिया जाएगा परन्तु अब आबादी क्षेत्र से वन विभाग हाथियों को कहा कैसे भगाएगा ये भी चर्चा का विषय बना हुआ है।बताया जा रहा है कि बभनी वन रेंज से जब हाथियों का झुंड चला था तो हाथियों की संख्या लगभग 18 से 20 थी परन्तु डूमरचुआ डैम किनारे पहुंचते पहुंचते हाथियों की संख्या 13 रह गयी है आखिर बाकी हाथी कहा बिछड़ गए विभागीय अधिकारी बताने को तैयार नही है।वन महकमा केवल जंगलो में डीजे पर शेर की दहाड़ मारते रहा और हाथी आबादी क्षेत्र में पहुंच कर उत्पात मचाते रहे।जरहां वन रेंज के रेंजर दिनेश कुमार ने बताया कि हाथी आबादी क्षेत्र में पहुंच गए हैं यहाँ से हाथियों को निकालना टेडी खीर है विभाग भरपूर कोशिश कर रहा है किसी तरह हाथियों को मध्यप्रदेश की सीमा पार कराई जाए परन्तु हाथियों का रुख किस ओर होगा बता नही सकते।बीजपुर थाना प्रभारी निरीक्षक एस बी यादव ने बताया कि ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए पुलिस बल लगाया गया है ताकि कोई ग्रामीण हाथियों तक न पहुंच जाएं। बरहाल देर शाम तक हाथी के बच्चे की मौत की खबर की पुष्टि नही हो पायी थी।
इनसेट
उल्टी दिशा में चल कर हाथी पहुचे बस्ती में अगर हाथी का बच्चा मरा होगा तो इनको भगाना आसान नही
बीजपुर । जंगली हाथियों के झुंड के मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ सीमा से यूपी के 20 किलोमीटर दूर आबादी क्षेत्र में पहुंच जाने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल व्याप्त है दर्जनों लोग अपने अपने घरों में ताला बंद कर अपने पालतू पशुओं के साथ सुरक्षित जगहों पर जाने को मजबूर हो गए वही सैकड़ो ग्रामीण डर के साये में जीने को मजबूर हैं।वन विभाग की नाकामी के चलते हाथियों का झुंड उल्टी दिशा में चल कर बस्ती वाले इलाके में पहुँच गया विभाग के ही लोग दबी जुबान में बता रहे थे कि अब डीजे बजाना भी खतरे से खाली नही है न जाने कितने दिन हाथी यहाँ रहेंगे कितना नुकसान करेंगे अगर हाथी का बच्चा सच में मरा होगा तो हाथी बेकाबू भी हो सकते है हाथियों की संख्या 13 है इतने हाथियों को काबू करना मुश्किल काम है विभाग को अब हर कदम फूंक फूंक कर चलना होगा ताकि ग्रामीणों को नुकसान न हो।
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वन विभाग शेर की आवाज दहाड़ता रहा हाथी बगल से निकल गए
बीजपुर ।जंगली हाथियों का झुंड नेमना के जंगलों से निकल नकटू पट्रोल पम्प के पास रेनुकूट- बीजपुर मुख्य मार्ग पार कर रहे थे तो गनीमत रही कि सड़क पर कोई वाहन नही था वरना किसी भी हादसे से इंकार नही किया जा सकता था।हाथी सड़क पार कर गए परन्तु वन विभाग को भनक तक नही लगी ये चिंता का विषय है जबकि जहाँ से हाथी गुजरे वहाँ से मात्र 500 मीटर की दूरी पर ही वन विभाग का बैरियर बना है जिसमे रात दिन बालू की गाड़ियों से मार्ग वसूली की जाती है फिर भी किसी की नजर नही गयी जब कि परियोजना में काम करने वाले श्रमिकों के रात दिन आवागमन से यह मार्ग चालू रहता है ।विभाग के लोग नेमना के जंगलों में ही डीजे पर शेर आवाज दहाड़ते रह गए।