लखनऊ 04 नवम्बर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार गन्ना किसानों की बर्बादी की पटकथा लिखने में लगी है। पेराई सत्र शुरू हो गया है। किन्तु कई मिलें अभी तक चालू नहीं हुई है। मिल मालिक अपनी मनमानी पर उतारू हैं। भाजपा सरकार चूंकि स्वयं पूंजीघरानों की पोशक-संरक्षक है इसलिए दोषी मिल मालिकों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने से बचती है। किसान की परेशानी की उन्हें चिंता नहीं है।
गन्ना किसान को समर्थन मूल्य देने में भाजपा हीलाहवाली कर रही है। अभी तक गन्ना किसानों का नौ हजार करोड़ रूपए बकाया भुगतान बाकी है। सहकारी चीनी मिलों पर 3 हजार करोड़ और निजी चीनी मिलों पर 6 हजार करोड़ रूपए बकाया है। निर्णय तो यही है कि 14 दिनों में भुगतान नहीं हो तो किसान को ब्याज भी देना होगा लेकिन जब मूलधन ही नहीं मिल रहा है तो ब्याज की उम्मीद कौन करे?
गन्ना किसान अपनी फसल बेचकर ही घरेलू जिम्मेदारियां पूरी करता है। बेटी का ब्याह, बेटे की फीस, बूढ़े मां बाप की दवाई और कोर्ट-कचहरी का खर्च वह फसल बेचकर ही निभाता है। गन्ने की फसल के लिए खाद पानी बिजली कीटनाशक ये खर्च भी करने होते हैं। समाजवादी सरकार के समय उसे गन्नें का दाम 40 रूपए बढ़ाकर दिलाया गया और बंद चीनी मिल भी चालू की गई। भाजपा सरकार तो चीनी मिलें बेचती जा रही है।
गन्ना किसान जिस दुर्दशा से गुजर रहा है, भाजपा सरकार की संवेदनहीनता उसके लिए जिम्मेदार है। इस सरकार में तो उसको न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नही मिला है। भाजपा ने किसान को कर्जदार बनाया है। उसकी खुशिया छीनी हैं। भाजपा सरकार ने विगत ढाई वर्ष से एक रूपया भी गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी नहीं किया है। भाजपा सरकार कभी भी किसान हितैषी नहीं हो सकती है। इस सच्चाई से किसान पूरी तरह अवगत है।