हरियाणा में चुनावी प्रबंधन में हमारी स्पष्ट कमी रही, आत्मावलोकन करेंगे : भाजपा महासचिव

जनार्दन पांडेय की रिपोर्ट

इंदौर।. भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बृहस्पतिवार को कहा कि हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी के प्रबंधन में स्पष्ट कमी के चलते सत्तारूढ़ दल को उसकी उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली है। हालांकि, उन्होंने दावा कि अंतिम चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद इस सूबे में भाजपा ही फिर सरकार बनायेगी।

विजयवर्गीय ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हरियाणा में हमारे चुनाव प्रबंधन में कमी मुझे बिल्कुल साफ दिखायी देती है। हमारे कुछ नेता (भाजपा से चुनावी टिकट नहीं मिलने पर) निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े हुए और उन्हें हम (पर्चा वापस लेने के लिये) समझा नहीं सके।”

भाजपा में हरियाणा मामलों के पूर्व प्रभारी ने कहा, “मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने हालांकि बहुत ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ सूबे के विकास के लिये काम किया। लेकिन चुनाव सिर्फ हवा बनाने से नहीं जीते जाते। चुनावी जीत के लिये थोड़ा-सा प्रबंधन भी करना पड़ता है।”

उन्होंने कहा, “मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने और उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के महत्वपूर्ण चुनावी प्रबंधन में हमारी कमी रही। चुनाव परिणाम के बाद हम इस विषय में भी हम आत्मावलोकन करेंगे।”

हरियाणा में खट्टर के खिलाफ जाट समुदाय की कथित चुनावी नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर भाजपा महासचिव ने कहा, “खट्टर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले पांच साल में परिवारवाद, जातिवाद और भाई-भतीजावाद की राजनीति समाप्त करते हुए आम जनता की सियासत शुरू की। लेकिन कहीं न कहीं मुझे लगता है कि हम अपनी बात ठीक तरीके से जनता के सामने नहीं रख सके।”

उन्होंने हालांकि कहा, “हरियाणा में हमने जैसा सोचा था, हमें वैसी चुनावी सफलता नहीं मिली। लेकिन मुझे लगता है कि अंतिम चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद हम वहां अपने बूते फिर सरकार बनायेंगे। अगर हमें अपने दम पर बहुमत नहीं मिला, तो हम देखेंगे कि आगे क्या करना है। लेकिन हम (विधायकों की) कोई खरीद-फरोख्त नहीं करेंगे।”

विजयवर्गीय ने उम्मीद जतायी कि टिकट न मिलने पर भाजपा से बागी होकर चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को सरकार गठन में पार्टी का साथ देने के लिये मना लिया जायेगा।

अपने गृहराज्य मध्यप्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट के उप चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस का पलड़ा भारी रहने पर भाजपा महासचिव ने कहा, “झाबुआ, कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है और वहां आजादी के बाद के अधिकांश चुनाव कांग्रेस ने ही जीते हैं।”

बहरहाल, वह यह आरोप लगाने से नहीं चूके कि सूबे की कमलनाथ सरकार ने झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया।

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