सिस्टम के सुचारू क्रियान्वयन हेतु खनिकर्म निदेशालय में स्थायी कमाण्ड सेंटर स्थापित
लखनऊः 15.10.2019।उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा प्रदेश में अवैध खनन और परिवहन पर नियंत्रण की व्यवस्था की गई है। इस हेतु इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम को प्रभावी बनाया गया है। सिस्टम को सुचारू रूप से क्रियान्वयन के लिए खनिकर्म निदेशालय में स्थायी कमाण्ड सेंटर स्थापित किया गया है। इस सेटर के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस युुक्त साॅफ्टवेयर द्वारा खनन प्रक्रियाओं की माॅनीटरिंग की जाएगी। माॅनीटरिंग में ड्रोन एण्ड क्लाउड सर्विस का प्रयोग भी किया जा रहा है।
यह जानकारी भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की निदेशक, डा0 रोशन जैकब ने दी। उन्होंनें बताया कि स्वीकृत क्षेत्रों से इतर अवैध खनन को रोकने के लिए खनन क्षेत्रों का जी0आई0एस0 प्रणाली के तहत 26 जिलों में सेटेलाइट इमेजरीज का अध्ययन कराया गया, जिसके तहत जियोफेन्सिंग तथा नए 179 क्षेत्रों का चिन्हांकन किया गया। जिनको निदेशालय में स्थापित कमाण्ड सेन्टर में प्रयुक्त इन्टेलीजेन्स युक्त साॅफ्टवेयर से इन्टीग्रेटेड किये जाने की कार्यवाही की जा रही है।
डा0 जैकब के अनूुसार निर्धारित मात्रा से अधिक खनिजों के परिवहन पर अंकुश लगाये जाने हेतु प्रत्येक खनन क्षेत्र में क्पहपजंस ूमपहीइतपकहम लगाया जा रहा है, जिसका निदेशालय में स्थापित कमाण्ड सेन्टर से पदजमहतंजपवद किये जाने की कार्यवाही की जा रही है। 22 जनपदों (जनपद हमीरपुर, जालौन, सोनभद्र, कौशाम्बी, फतेहपुर, बांदा, गौतमबुद्ध नगर, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कन्नौज, औरैया, संत कबीर नगर, गोरखपुर, अम्बेडकरनगर, बलरामपुर, बुलन्दशहर, फर्रूखाबाद, बहराईच, सहारनपुर, शामली, लखीमपुर खीरी) में कार्य समाप्ति की ओर तथा शेष जनपदों में कार्यवाही प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि खनिज परिवहन करने वाले वाहनों का विभाग में पंजीयन अनिवार्य किया गया है, जिसके अन्तर्गत प्रदेश में अब तक लगभग 18000 वाहनों का पंजीकरण विभाग की वेबसाइट पर हो चुका है। खनिज परिवहन करने वाले वाहनों में अमीलम्ब प्रणाली लागू की गयी है। जिन वाहनों में ंपूर्व में ही लगा हुआ हैं वाहन स्वामी की दर्ज करने हेतु विभागीय वेबसाइट पर व्यवस्था की गयी है।
खनन निदेशक ने बताया कि परिवहन प्रपत्र की वैधता की जांच हेतु विकसित की गयी है जिसे जनपदों के समस्त अधिकारियो के एण्ड्रायड मोबाइल पर डाउनलोड कराये जाने की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के जनपदीय अधिकारियों को इस सम्बन्ध में निर्देशित किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में प्रदेश के नदी तल में उपलब्ध उपखनिज बालू/मोरम की खनन संक्रिया मानसून सत्र समाप्त होने के उपरान्त माह अक्टूबर से प्रारम्भ होनी थी, परन्तु जनपदों में परिहारधारकों द्वारा खनन स्थलों पर क्पहपजंस ूमपहीइतपकहमए ब्ब्ज्ट ब्ंउमतं स्थापित किये जाने तथा उपखनिजों का परिवहन करने वाले शेष वाहनों के पंजीकरण की कार्यवाही पूर्ण हो जाने तक जनपदों में उपखनिज बालू/मोरम के खनन एवं परिवहन हेतु ई एम0एम0-11 निर्गत नहीं हो रहे हैं।