– मुख्यमंत्री ने ‘वन्य प्राणि सप्ताह-2019’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित किया
अजय कुमार बर्मा की रिपोर्ट
लखनऊ: 04 अक्टूबर, 2019
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारतीय परम्परा में जैव विविधता के सम्मान पर बल दिया गया है। मां दुर्गा का वाहन सिंह, भगवान शिव का वाहन नंदी है। इसी प्रकार, प्रायः सभी आराध्य अलग-अलग वन्य प्राणियों से जुड़े हैं। भारतीय परम्परा में वन्यजीव देवी-देवताओं के स्वरूप के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा से ही सृष्टि की सुरक्षा और संरक्षण सम्भव है। अवतारों की परम्परा में क्रमशः मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह आदि को क्रमिक विकास की श्रेणियां बताते हुए उन्होंने कहा कि यह श्रृंखला प्रकृति में प्राणियों के सहअस्तित्व को दर्शाती है। इस सहअस्तित्व को नकारने और प्रकृति के नियमों से विचलन के प्रतिकूल परिणाम होते हैं।
मुख्यमंत्री जी आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘वन्य प्राणि सप्ताह-2019’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने ‘वन्यजीव संरक्षण जागरूकता’ मोबाइल एप का शुभारम्भ किया। उन्होंने ‘वन्य प्राणि सप्ताह-2019’ में आयोजित फैंसी ड्रेस, क्विज़, मेंहदी लगाना, नुक्कड़ नाटक, फोटोग्राफी, पोस्टर बनाना, तितलियों की पहचान आदि विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया। इस मौके पर वन मंत्री श्री दारा सिंह चैहान ने मुख्यमंत्री जी को गुजरात राज्य से प्राप्त 07 सिंहों के सम्बन्ध में प्रमाण पत्र भी सौंपा। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने वन्यजीवों के रेस्क्यू हेतु वाहनों का फ्लैग आॅफ किया तथा वन्यजीव प्रबन्धन के सम्बन्ध में आधुनिक तकनीकी उपकरणों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रकृति के नियमों से छेड़छाड़ के दुष्परिणाम, जलवायु परिवर्तन आदि के रूप में सामने आ रहे हैं। सभी प्राणी सृष्टि के हिस्से हैं। कोई किसी को अनावश्यक रूप से नुकसान नहीं पहुंचाता। समय के साथ प्रकृति के अतिदोहन से जंगल समाप्त हुए, नदियों का स्वाभाविक प्रवाह बाधित हुआ, तालाब पाटकर कंक्रीट के जंगल स्थापित हुए, इसका विपरीत असर हुआ है। इसने मनुष्य और वन्य प्राणियों के मध्य नया संघर्ष व द्वन्द्व पैदा किया है।
‘वन्य प्राणि सप्ताह-2019’ पर वन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस तरह के और भी कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिए। इससे जनसामान्य में प्रकृति के प्रति जागरूकता पैदा होती है तथा प्रकृति के संरक्षण की भावना व प्रेरणा मिलती है। इस वर्ष वृक्षारोपण महाकुम्भ पर 22 करोड़ 59 लाख पौधों के रोपण के लिए वन विभाग को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के प्रथम वर्ष, 2017 में 6 करोड़ पौधे रोपित किये गये थे। द्वितीय वर्ष 2018 में 11 करोड़ 55 लाख पौधों का रोपण हुआ था। वन विभाग द्वारा क्रमशः वृक्षारोपण की संख्या को बढ़ाना प्रकृति के संरक्षण की दिशा में उपयोगी कदम है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वन्यजीवों की संख्या में भी निरन्तर वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रकृति के संरक्षण के प्रयास के साथ ही, इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि मनुष्य और प्रकृति एक साथ कैसे आगे बढ़ सकते हैं। प्रदेश में बड़ी संख्या में वेटलैण्ड्स हैं। इन्हें पक्षियों के आश्रय स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। वन विभाग को अपने कार्याें को प्रोफेशनल और प्रभावी ढंग से सम्पन्न करने के लिए वन, पर्यटन, संस्कृति आदि सम्बन्धित विभागों के अन्तर्विभागीय समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए। इससे प्रकृति का संरक्षण होगा व जैव विविधता में वृद्धि होगी। यह आर्थिक संसाधन एकत्र करने में भी सहायक होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य से विशेषज्ञ व्यक्तियों और संस्थाओं को जोड़कर वृहत्तर पहल होनी चाहिए।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वन मंत्री श्री दारा सिंह चैहान ने कहा कि वन विभाग द्वारा एक दिन में 22 करोड़ से अधिक पौधे लगाये गये हैं। प्रयागराज में सर्वाधिक पौधों के वितरण का विश्व रिकाॅर्ड बनाया गया है। मुख्यमंत्री जी ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को आपदा घोषित कर, संघर्ष में मृतक व्यक्ति के आश्रित के लिए 5 लाख रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता की व्यवस्था की है। ईको टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ की भांति ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन डेस्टिनेशन’ कार्यक्रम हेतु कार्ययोजना बनायी जा रही है।
कार्यक्रम में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) श्री सुनील पाण्डेय ने एक प्रस्तुतिकरण में बताया कि राज्य में वर्ष 2014 के सापेक्ष वर्ष 2018 में बाघों की संख्या में 67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने वन्यजीव प्रबन्धन तथा मानव वन्यजीव संघर्ष पर नियंत्रण के प्रयासों एवं वन्यजीव संरक्षण में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग के सम्बन्ध में भी जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम के अन्त में, वन राज्य मंत्री श्री अनिल शर्मा ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, जल शक्ति राज्य मंत्री श्री बलदेव ओलख, प्रमुख सचिव वन श्रीमती कल्पना अवस्थी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री पवन कुमार सहित वरिष्ठ अधिकारी व बड़ी संख्या में विद्यार्थीगण उपस्थित थे।