लखनऊ।उ.प्र. सहकारी बैंक लिमिटेड तथा 50 जिला सहकारी बैंकों के विलय का मसौदा तैयार कर लिया गया है। दो सितंबर को एकेडेमिक टेक्निकल कमेटी के सदस्यों के बीच विलय के बिंदुओं पर सहमति बन गई है। जल्द ही यह मसौदा सरकार के पास भेजा जाएगा।
आईआईएम के प्रोफेसर विकास श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बनी एकेडेमिक टेक्निकल कमेटी की दो सितंबर को संपन्न बैठक में प्रमुख सचिव सहकारिता एमवीएस रामीरेड्डी, आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता एसबीएस रंगाराव, अपर आयुक्त एवं अपर निबंधक (बैंकिंग) आंद्रा वामसी के साथ ही कमेटी के अन्य सदस्य उपस्थित थे। कमेटी ने मर्जर किए जाने वाले सभी सहकारी बैंकों की बैलेंस सीट पर गहन मंथन किया। विलय के बाद नये बैंक का स्वरूप क्या होगा, इसकी रूपरेखा भी तय की गई है।
करीब 3000 करोड़ घाटे में हैं सहकारी बैंक: 51 बैंकों का विलय कर एक नया सहकारी बैंक बनाने की राह में सबसे बड़ी बाधा इन बैंकों का करीब 3000 करोड़ रुपये का घाटा है।
सूत्र बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने इस घाटे की भरपाई का भरोसा दिया है। विलय के मसौदे का अध्ययन शासन स्तर पर प्रमुख सचिव सहकारिता कर रहे हैं। इनकी संस्तुति के पश्चात मसौदा सरकार के पास विचार के लिए भेजा जाएगा।
सरकार की सहमति बनने पर नाबार्ड और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सहमति ली जाएगी। इस प्रक्रिया के पश्चात विलय पर अंतिम मुहर लग सकेगी। इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक साल का समय लग सकता है।
विलय के बाद नया बैंक 1200 शाखाओं वाला होगा
मर्जर के क्रम में उ.प्र. सहकारी बैंक और 50 जिला सहकारी बैंकों की करीब 1200 शाखाएं एक छतरी के नीचे आ जाएंगी। उ.प्र. सहकारी बैंक की प्रदेश में कुल 27 शाखाएं हैं। वहीं करीब 1175 शाखाएं जिला सहकारी बैंकों की हैं। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय करीब 7500 प्रारंभिक समितियां (पैक्स) इस नये बैंक के एक्सटेंशन काउंटर का काम करेंगे। सभी सहकारी बैंकों के साथ ही पैक्स के कंप्यूटरीकरण का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है।