वाराणसी। एसटीएफ ने टकटकपुर के पास शुक्रवार को छापेमारी के दौरान एक लाख के इनामी शिवप्रकाश उर्फ सोनू उर्फ धोनी तिवारी को उसके साथी मनीष केसरवानी और अंजनी सिंह के साथ गिरफ्तार किया है। तलाशी में उनके पास से देशी पिस्टल और दो तमंचो के संग खोखा-कारतूस बरामद किया है। एसटीएफ का दावा है कि गिरफ्तार बदमाश यहां भाजपा के सैदयराजा के विधायक सुशील सिंह की हत्या की खातिर जुटे थे। मूल रूप से बस्ती निवासी धोनी तिवारी का लंबा आपराधिक इतिहास है लेकिन यह बस्ती और प्रयागराज से संबंधित हैं।
पुराने विरोधी के लिए करनी थी वारदात
एसटीएफ का दावा है कि पूछताछ में धोनी ने कबूल किया कि प्रयागराज के छात्रनेता सुमित शुक्ला जिसकी हत्या हो चुकी है ने संंबंध श्रीकंठपुर (चौबेपुर) निवासी अमरनाथ उर्फ कक्कू चौबे से कराया था। कक्कू की मदद से वह बिहार के पटना-हाजीपुर समेत दूसरे स्थानों पर शरण लेकर रहता है। इसके बदले में कक्कू ने उसे विधायक सुशील सिंह, अजय मरदह और सन्नी सिंह अदि की हत्या करनी थी। इसी की रेकी करने के लिए वह अपने साथियों के संग आया था लेकिन सटीक सूचना पर एसटीएफ ने धर-दबोचा। हल्की मुठभेड़ में गिरफ्तारी के बाद सभी को कैंट थाने को सौंप दिया गया। हत्या प्रयास और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा कायम करते हुए सभी को हवालात में डाल दिया गया। कहना न होगा कि कक्कू के पिता अमरनाथ चौबे की हत्या के मामले में अजय मरदह और सन्नी सिंह आरोपित रहे हैं जबकि इसे लेकर विधायक पर भी आरोप लगे थे।
संगीन मामलों में रही है संलिप्तता
मूल रूप से बस्ती निवासी निवासी का नाम हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश संयोजक बीडी ओझा की 2011 में हत्या के बाद चर्चा में आया था। पिछले साल उसके साथ छह लोगों को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। बस्ती जेल में हुए बवाल में भी धोनी के खिलाफ रपट दर्ज हुई थी। जेल से जमानत पर छूटने के बाद धोनी ने एक और साथी के लिए उसके पट्टीदार को गोली मारी थी। यहां रहने के दौरान धोनी का संबंध प्रयागराज के राजकुुमार यादव से हो गया था। राजकुमार के भाई ज्ञानचंद्र उर्फ वकील की हत्या में शामिल विद्यासागर यादव की हत्या सिविल लाइंस में की थी। इसके बाद वह बिहार एसटीएफ के सिपाही अभिषेक सिंह उर्फ बंटी के सम्पर्क में आया तो उसके लिए भी हत्या की खातिर फायरिंग की लेकिन पिस्टल फंसने के चलते त्रिभुवन तिवारी को एक ही गोली लगी।