– अगर किसी को हो तकलीफ तो दूसरी मस्जिद में अदा करें नमाज
– किसी को तकलीफ देकर इबादत करना ठीक नहीं
लखनऊ।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा है कि अगर किसी के सड़क पर नमाज पढ़ने से किसी व्यक्ति को तकलीफ हो, तो नमाजियों को थोड़ी जहमत उठाकर दूसरी मस्जिदों में वक्त पर पहुंचकर नमाज अदा कर लेनी चाहिए। ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद ने सड़क पर नमाज पढ़ने के विवाद पर यह बात कही।
मौलाना ने कहा कि सड़क पर नमाज पढ़ना कोई रोजाना की बात नहीं है। सिर्फ जुमे के दिन और वह भी चंद मस्जिदों में जब जगह नहीं होती, तो मजबूरन सड़क पर नमाज पढ़ते हैं। लेकिन अगर किसी को इससे कोई एतराज है, तो नमाजियों को थोड़ी जहमत उठाकर दूसरी मस्जिदों में वक्त से नमाज अदा कर देनी चाहिए। नमाज अल्लाह की इबादत है और किसी को तकलीफ देकर इबादत करना ठीक नहीं।
*खाली जगह पर नमाज पढ़ना जायज*
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने भी इस मसले पर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा की शरीयत के हिसाब से खाली जगह पर नमाज अदा की जाती है। खाली जगह पर नमाज पढ़ना जायज है। हालांकि, उन्होंने यह सपष्ट किया कि यह बयान सड़क पर नमाज पढ़ने पर नहीं है। उन्होंने कहा मेरी बात का मतलब नकालने का काम सुनने और पढ़ने वालों पर छोड़ दें।
*मुस्लिम समाज पर धौंस मारना बन गई आदत*
मौलाना वली रहमानी ने कहा कि भगवा चोला पहनकर, अराजकता फैलाना और मुस्लिम समाज पर धौंस मारना कुछ लोगों की आदत बन गई है। दूसरी ओर, मुस्लमालों का मार खाने के बाद बिलबिला कर रह जाने का मिजजा बन गया है।
*हिंदुत्व में जोर जबरदस्ती की गुंजाइश नहीं*
उधर, कथित हिंदूवादी संगठनों द्वारा जबरन ‘जय श्रीराम’ बुलवाने और विरोध पर मारपीट किए जाने की घटनाओं पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उन्होंने हिंदुत्व के बारे में जितना पढ़ा था, उसमें जोर जबरदस्ती की गुंजाइश नहीं है। भगवान राम ने कहीं भी अपने मानने वालों से नहीं कहा कि किसी से जबरन जयकारा लगवाएं । वह तो मर्यादा पुरोषोत्तम हैं। उनके नाम पर अमर्यादित आचरण कैसे किया जा सकता है।