
गाजीपुर। फागु चौहान के विधानसभा से इस्तीफे के साथ ही यह लगभग तय हो चुका है कि घोसी(मऊ) सीट पर भी उप चुनाव होगा। तब संभव है कि मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को बसपा उस सीट पर एक बार फिर किस्मत आजमाने का मौका दे सकती है। अब्बास पहली बार विधानसभा चुनाव साल 2017 में घोसी सीट से ही लड़े थे। उस चुनाव में भाजपा की लहर थी। बावजूद अब्बास ने बसपा उम्मीदवार की हैसियत से भाजपा के दिग्गज नेता फागु चौहान को कड़ी टक्कर दी थी। वह मात्र सात हजार तीन वोट से पीछे रह गए थे। जहां फागु चौहान को कुल 88 हजार 298 वोट मिले थे। उसके मुकाबले अब्बास अपने खाते में 81 हजार 295 वोट बटोरे थे, जबकि सपा के कद्दावर नेता सुधाकर सिंह को मात्र 59 हजार 256 वोट लेकर तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था।
वह परिणाम भले भाजपा के पक्ष में गया था, लेकिन अब्बास के शानदार प्रदर्शन ने सभी विरोधियों को चौंका दिया था। उसी आधार पर यह माना जा रहा है कि घोसी सीट के उपचुनाव में बसपा फिर अब्बास पर ही दाव लगाएगी। वैसे भी अब्बास के पिता मुख्तार अंसारी बसपा के मऊ सदर सीट से विधायक हैं तो उनके बड़े पिता अफजाल अंसारी बसपा से ही गाजीपुर के सांसद हैं। खुद अब्बास अंसारी विधानसभा चुनाव के बाद से बैठे नहीं हैं। खासकर घोसी विधानसभा क्षेत्र में वह लगातार सक्रिय हैं। उनके लिए यह इत्तेफाक ही कहा जाएगा कि ढाई साल में ही उन्हें दोबारा घोसी से चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। दरअसल आम चुनाव में हराने वाले भाजपा के फागु चौहान की बिहार के राज्यपाल पद पर नियुक्ति हो गई है। इसके चलते उन्हें विधानसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी है।
एक लिहाज से देखा जाए तो यह इत्तेफाक न सिर्फ अब्बास को बल्कि उनके परिवार को मुतमईन करने वाला है। तीन माह में अंसारी परिवार के लिए यह तीसरा बड़ा मौका होगा। पहले मोदी की प्रचंड लहर में भी अफजाल अंसारी का गाजीपुर से सांसद चुना जाना और दूसरा भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में कुनबे का सीबीआई कोर्ट से बाइज्जत बरी होना। तब यह भी हैरानी नहीं कि घोसी विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव आने तक अंसारी परिवार के स्टार प्रचारक मुख्तार अंसारी भी जेल से बाहर आ चुके रहें।
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