20 साल बाद सावन माह में सोमवार को मनेगी नागपंचमी

नाग देवता की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए,पूजा में करें हल्दी का उपयोग

जीवन मंत्र डेस्क। सोमवार, 5 अगस्त को नागपंचमी पर संजीवनी महायोग बन रहा है। ये योग 20 साल बाद बना है। इसी के साथ सोमवार और नाग पंचमी का संयोग भी रहेगा। नागदेव शिवजी के आभूषण हैं। सोमवार शिव का प्रिय दिन है। इस साल के बाद 21 अगस्त 2023 को ऐसा संयोग नागपंचमी पर आएगा।

उज्जैन की ज्योतिषविद् अर्चना सरमंडल के अनुसार सावन सोमवार और नागपंचमी के संयोग को संजीवनी महायोग कहा है। 20 सालों बाद यह योग पहली बार बन रहा है । इससे पहले 16 अगस्त 1993 को यह योग बना था। अगला योग 21 अगस्त 2023 को आएगा।

सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागदेव का पूजन करने की परंपरा है। पंचमी तिथि 4 अगस्त शाम 6.48 बजे शुरू होगी तथा 5 अगस्त दोपहर 2.52 बजे तक रहेगी। नाग पूजन का समय 5 अगस्त सुबह 6 से 7.37 तक और 9.15 से 10.53 तक रहेगा।

नाग पंचमी पर सोमवार का संयोग अरिष्ट योग की शांति के लिए विशेष संयोग माना जाता है। इस दिन शिव का रुद्राभिषेक पूजन और कालसर्प दोष का पूजन का शुभ योग माना जाता है।

नाग पूजन में हल्दी का उपयोग करें

उज्जैन ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार नागदेव की पूजा में हल्दी का प्रयोग अवश्य करें। धूप, दीप अगरबत्ती से पूजन करें एवं देवताओं के समान ही मीठा भोग प्रतीक रूप से लगाएं एवं नारियल अर्पण करें। कई लोग इस दिन कालसर्प का पूजन करते है। यह आवश्यक नहीं कि पूजन नाग पंचमी को ही किया जाए। जन्म कुंडली में एक दोष होता है, जिसे सर्पदोष कहते हैं। इससे सांप का कोई लेना-देना नही है। कालसर्प राहु-केतु जनित दोष है। राहु का मुख सर्प समान होने से इसको सर्प दोष कहते हैं।

नाग की प्रतिमा का पूजन करें, जीवित का नहीं

सपेरे द्वारा पकड़े गए नाग का पूजन करने से बचना चाहिए। नाग का पूजन सदैव नाग मंदिर में ही करना श्रेष्ठ रहता है। नागपंचमी के दिन सपेरे नाग को पकड़कर उनके दांतों को तोड़ देते हैं। इससे वह शिकार करने लायक नहीं रहता। उसे भूखा रखा जाता है। भूखा सांप दूध को पानी समझकर पीता है। सांप जाे पानी पीता है, उससे पहले से बने घाव में मवाद बन जाता है और बाद में भूख से मर जाता है। नाग शाकाहारी प्राणी नहीं है, वह दूध नहीं पीता।

गरुड़ पुराण के अनुसार ग्रहों के प्रतीक हैं सांप

अनन्त नाग- सूर्य, वासुकि- सोम, तक्षक- मंगल, कर्कोटक- बुध, पद्म- गुरु, महापद्म- शुक्र, कुलिक एवं शंखपाल- शनैश्चर ग्रह के रूप हैं। आद्र्रा, अश्लेषा, मघा, भरणी, कृत्तिका, विशाखा, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाषाढ़ा, मूल, स्वाति शतभिषा के अलावा अष्टमी, दशमी, चतुर्दशी अमावस्या तिथियों को सांप का काटना ठीक नही माना जाता। गरुड़ पुराण के अनुसार सांप के काटे से हुई मृत्यु से अधोगति की प्राप्ति होती है।

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