
वाराणसी।ससुरालवालों की हिंसा काशिकार हुई पूनम राय भले ही 17 सालों तक बिस्तरपर जिंदा लाशबनकर पड़ी रहीं, लेकिन उनमें जीने और कुछ कर गुजरने का जज्बा नहीं मरा। आज वहपेंटिंग के क्षेत्र में वर्ल्ड रिकार्डधारीहैं। इसी साल फरवरी में पूनम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेमुलाकात की थी और अपनी जिंदगी केमुश्किल पलों को साझा किया था।
घर की तीसरी मंजिल से फेंका
वाराणसी के रहने वालेपूनम के पिता बिंदेश्वरी राय लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में इंजीनियर थे। उन्होंने पूनम की शादी साल 1996 में पटना में एक इंजीनियर से की। बकौल पूनम, शादी के बाद पता चला किजिसने शादी के वक्त खुद कोइंजीनियर बताया था, वह सिर्फ इंटर (12वीं) पास था। फरवरी 1997 में दहेज के विवाद में ससुरालवालों ने पूनम को घर की तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया, जिससे रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया। उस वक्त पूनम कीबेटी प्रिया दो महीनेकी थी।
पूनम खड़ी भी नहीं हो सकती थी
घटना के बाद पूनममायके आ गईं। वह लगातार 17 सालबिस्तर पर रहीं।पूनम पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती थीं, इसलिए उन्होंनेहाथों को हुनरमंद बनाने की ठाना। पूनम के भाई ने उन्हें बीएचयू से पेंटिंग ऑनर्स का फार्म भरवाया। परीक्षा पास करने के बाद पूनम ने 2001 में काशी विद्यापीठ से इतिहासमें पोस्ट ग्रेजुएट कर आत्मनिर्भर बनने दिशा में कदम बढ़ाया।
5 साल पहले बिस्तर से उठीं पूनम
पूनम 2014 में वॉकर के सहारे चलने-फिरने लगीं। 2015 में उत्तर प्रदेश सरकार के समर कैंप में पूनम ने ड्रॉइंग (कला) क्लासेसली। बकौल पूनम, वहां से जिंदगी को एक नई मिली और उसी के बाद मैंने बीआर (बिंदेश्वरी राय) फाउंडेशन की स्थापना की। इस संस्था के जरिए पूनम गरीब बच्चों को शिक्षा में मदद करती है। वह मुफ्त में डांस, पेटिंग और योगसिखाती हैं।
648 महिलाओं की मुद्राओं को कैनवास पर उकेरा
2017 में पूनम ने छह फीट लंबे और इतने ही चौड़े कैनवास पर 648 महिलाओं कीविभिन्न मुद्राओं को 11 दिन में उकेरकर इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया। इसके बाद 2018 में मनाली में मैराथन लांगेस्ट पेंटिंग का अवॉर्ड जीता। इसमें 8 लोगों ने मिलकर 50 फीट लंबे और 5 फिट चौड़े कैनवास पर 3 डिग्री तापमान में पेंटिंग उकेरी थी।
फरवरी 2019 में जब मोदी काशी पहुंचे थे तो पूनम की मुलाकात उनसे हुई थी। इस दौरान पूनम ने प्रधानमंत्री को पेंटिंग भेंट करते हुए अपने जीवन की पूरी घटना बताई थी तो वे भी भावुक हो गए।दैनिक भाष्कर के सौजन्य से।
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