नई दिल्ली ।
केंद्र सरकार सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर खजाना भरने और कामकाज में सुधार लाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ बैठक के बाद इन सुझावों पर अमल में लाने के लिए संबंधित मंत्रालय भेजा गया है। बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और एनएमडीसी जैसे उपक्रमों में हिस्सेदारी का विनिवेश और राष्ट्रीय जल एवं सिंचाई प्राधिकरण के गठन जैसी कवायद भी शामिल हैं।
मोदी ने 22 जून को चुनिंदा अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ ‘आर्थिक नीति: आगे का रास्ता विषय’ पर विचार विमर्श किया था। इस बैठक का मकसद 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था के आकार को दोगुना कर 5,000 अरब डॉलर परपहुंचाने के लिए ऐसे विचारों पर चर्चा हुई जिनसे रोजगार सृजन, आर्थिक वृद्धि में मदद मिल सकती है।
सूत्रों ने बताया कि अर्थशास्त्रियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के अलावा देश के तीन बड़े उद्योगपतियों टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, आईटीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव पुरी और वेदांता रिसोर्सेज के संस्थापक अनिल अग्रवाल ने भी बैठक में अपने विचार रखे। अब उनको सुझावों पर आगे काम के लिए संबंधित मंत्रालयों को भेज दिया गया है।
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अग्रवाल ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों को स्वायत्तता देने और इनमें सरकार की हिस्सेदारी को घटाकर 50 प्रतिशत पर लाने का सुझाव दिया है। उनके इस सुझाव को दीपम के पास भेजा गया है। बैठक में अग्रवाल ने कॉरपोरेट कर की दर को 30 से घटाकर 20 प्रतिशत करने की बात भी उठाई।सूत्रों ने बताया कि निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) अग्रवाल के हिंदुस्तान कॉपर, कोलार गोल्ड, यूरेनियम कॉर्प, एससीआई और एनएमडीसी में सरकार की हिस्सेदारी के विनिवेश के सुझाव को देखेगा। इससे देश के 400 अरब डॉलर के आयात बिल में कमी लाई जा सकेगी।
बैंकों और एनबीएफसी समस्या हल होगी
चंद्रशेखरन ने बैठक में बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की समस्याओं का समाधान के उपायों को लागू करने की जरूरत बताई। उनके इस सुझाव को वित्तीय सेवा विभाग को भेजा गया है। वहीं बिजली मंत्रालय से बिजली वितरण के निजीकरण के सुझावों पर गौर करने को कहा गया है। नीति आयोग और भारी उद्योग मंत्रालय बिजलीचालित वाहनों को तेजी से चलन में लाने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि कृषि मंत्रालय पुरी के राष्ट्रीय जल एवं सिंचाई प्राधिकरण के गठन के सुझाव पर गौर करेगा। किसानों को मौसम और अन्य रियल टाइम इनफारमेशन, कृषि सेवा से जुड़े उद्यमी, फलों-सब्जियों के ज्यादा इस्तेमाल के लिए खाद्य प्रसंस्करण पर जोर दिए जाने का भी सुझाव मिला है।