मिर्जापुर से बनारस तक गंगा का सिकुड़ता दायरा
मिर्जापुर से बनारस तक गंगा का सिकुड़ता दायरा
बारिश न हुई तो संकट और गहराने की आशंका
वाराणसी। गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही गिरावट से वाराणसी में जल संकट और गहराने का अंदेशा पैदा हो गया है। हाल यह है कि गंगा के जलस्तर में रोजाना चार से पांच सेंटीमीटर की रफ्तार से गिरावट हो रही है। दो हफ्ते में गंगा का जलस्तर लगभग 50 सेंटीमीटर कम हुआ है। अब तो गंगा के गिरते जलस्तर ने चार साल पुराना रिकार्ड भी तोड़ दिया है।
वैसे तो गंगा काफी दिनों से घाटों से दूर होने लगी हैं। आने वाले दिनों में अगर बरसात नहीं हुई तो गंगा का जलस्तर खतरनाक स्तर पर नीचे चले जाने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो चार सालों में गंगा का जलस्तर लगातार कम होता गया और रेत के टीले बढ़ते गए। 2015 में गंगा का न्यूनतम जलस्तर 58.67 मीटर था, जबकि 2016 में यह 58.52 मीटर रिकॉर्ड किया गया। 2017 में ये घटकर 58.27 मीटर रह गया। 24 अप्रैल 2018 को वाराणसी में गंगा का जलस्तर आठ सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा और वाटर लेवल 58.10 मीटर रिकॉर्ड हुआ। उसी साल महीने भर में ही ये रिकॉर्ड भी टूट गया और 25 मई 2018 तक सेंट्रल वाटर कमीशन ने जलस्तर बनारस में 57.84 मीटर रिकॉर्ड किया। गुरुवार 20 मई 2019 को गंगा का जलस्तर 57.84 मीटर दर्ज किया गया।
गंगा नदी का जलस्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है और नदी तेजी के साथ घाट छोड़ रही है। घाट पर लोगों को नहाने के लिए पानी की जगह बंजर भूमि दिखने लगी है। जलकल विभाग के अधिकारियों ने आने वाले दिनों में स्थिति और ज्यादा गंभीर होने के अनुमान लगाए हैं। पानी की सप्लाई करने वाली भदैनी वाटर स्टेशन पर मौजूद चार पंप में से दो पंप ने काम करना ही बंद कर दिया है। वहीं बचे दो पंप भी काफी मुश्किल से चल रहे हैं। जलकल कर्मियों का कहना है कि गंगा में पानी कम होने के कारण मोटर पानी नहीं उठा रही है।
वैसे ये हाल केवल बनारस का ही नहीं है। अलबत्ता मिर्जापुर से बनारस तक का यही हाल है। बनारस मिर्जापुर सीमा पर गंगा की हालत और भी चिंता जनक है। कमोबेश वही हाल चुनार घाट का है।