
जीवन मंत्र डेस्क। किसी भी देवी-देवता की पूजा में सबसे पहले संकल्प क्यो लिया जाता है?जानिए इस रहस्य को क्योकि पूजा विधि का ये भी एक अनिवार्य अंग है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अगर सही विधि-विधान से पूजन किया जाए तो उसका फल बहुत जल्द प्राप्त होता है। इसीलिए जब भी विशेष पूजन किया जाता है तब किसी ब्राह्मण की मदद ली जाती है। यदि हम दैनिक पूजा में भी कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो जल्दी ही सकारात्मक फल मिल सकते हैं।गौरतलब है कि संकल्प के बिना नहीं मिलता है पूजा का पूरा फल पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि किसी भी पूजन से पहले संकल्प अवश्य करना चाहिए। पूजा से पहले अगर संकल्प ना लिया जाए तो उस पूजन का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। मान्यता है कि संकल्प के बिना की गई पूजा का सारा फल देवराज इन्द्र को प्राप्त हो जाता है। इसीलिए प्रतिदिन की पूजा में भी पहले संकल्प लेना चाहिए, फिर पूजन करना चाहिए।इतना ही संकल्प लेने का अर्थ है कि शास्त्रों के अनुसार संकल्प लेने का अर्थ है कि इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर संकल्प लिया जाता है कि हम यह पूजन कर्म विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कर रहे हैं और इस पूजन को पूर्ण अवश्य करेंगे।संकल्प करते समय करें प्रथम देवता श्री गणेश का ध्यान संकल्प लेते समय हाथ में जल लिया जाता है, क्योंकि इस पूरी सृष्टि के पंचमहाभूतों (अग्रि, पृथ्वी, आकाश, वायु और जल) में भगवान गणपति जल तत्व के अधिपति हैं। इसीलिए श्रीगणेश को सामने रखकर संकल्प लिया जाता है। ताकि श्रीगणेश की कृपा से पूजन कर्म बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाते हैं। एक बार पूजन का संकल्प लेने के बाद उस पूजा को पूरा करना आवश्यक होता है। इस परंपरा से हमारी संकल्प शक्ति मजबूत होती है। व्यक्ति को विपरित परिस्थितियों का सामना करने का साहस प्राप्त होता है।
SNC Urjanchal News Hindi News & Information Portal