
दिल्लीः।लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम चरण पर पहुंच चुका है और सिर्फ एक चरण का चुनाव बाकी रह गया है। इसी बीच चुनाव आयोग में भी मतभेद की खबरें सामने आई है और आचार संहिता तोड़ने के मामले में पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट दए जाने के मामले में चुनाव आयोग के अंदरखाने में ही मतभेद होने शुरु हो गए हैं। चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिखा है और मांग की है कि, अगर किसी फैसले को लेकर आयुक्तों के बीच मतभेद होता है तो उसे भी आधिकारिक रिकॉर्ड पर शामिल किया जाए।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा आचार संहिता उल्लंघन के मामले पर क्लीन चिट दिए जाने पर अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। अशोक लवासा अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के कतार में हैं। लवासा द्वारा पत्र के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि, चुनाव आयोग में तीन सदस्य होते हैं और तीनों एक दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते हैं। मैं किसी भी तरह के बहस से नहीं भागता। हर चीज का वक्त होता है।
दरअसल, पिछले दिनों अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर कहा था कि, 3 सदस्य आयोग में अगर एक भी सदस्य का विचार भिन्न होता है तो उसे आदेश में बाकायदा लिखा जाए। दरअसल, लवासा चुनाव आयोग में सुप्रीम कोर्ट की तरह व्यवस्था चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट में खंडपीठ या विशेष पीठ में किसी केस की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते वक्त अगर किसी जज का फैसला अलग होता है है तो उसे रिकॉर्ड किया जाता है।
कांग्रेस का पलटवार
दूसरी तरफ, कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस विवाद के बाद कहा है कि, चुनाव आयोग पीएम मोदी का पिट्ठू बन चुका है। अशोक लवासा की चिट्ठी से ये साफ है कि, चुनाव आयोग के अंदर पीएम मोदी और अमित शाह को लेकर जो अलग मत है उसे रिकॉर्ड करने को तैयार नहीं है।
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