भुवनेश्वर/ नई दिल्ली: पूर्व भारत और दक्षिण भारत में खासी तबाही और आम जीवन को अस्त व्यस्त करने वाला चक्रवाती तूफान अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है. इस तूफान ने सबसे अधिक ओडिशा में तबाही मचाई और अब तक इस सूबे में 12 लोग मारे गए हैं. अनेक लोग घायल हैं. फोनी चक्रवाती तूफान का असर पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में भी देखने को मिला है. तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इसका असर दिखा. उत्तर भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी इसका मामूली असर देखा गया.
ओडिशा में फोनी की दस्तक बहुत खतरनाक थी. करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज़ हवाएं चली और मुसलाधार बारिश हुई, लेकिन सरकार की तरफ से राहत और बचाव के पुख्ता इंतजाम किए गए थे, जिसकी वजह से तबाही आशंका से कम रही. सरकार की मुस्तैदी की वजह से 12 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सका. बचाव के तहत परिवहन, ट्रेन और फ्लाइट सेवाएं बंद कर दी गई थी.
फोनी सबसे पहले ओडिशा की तट से टकराया उसके बाद यह पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ा. यहां भी फोनी से लोगों को बचाने के लिए पूरी तैयारी की गई थी. यहां अभी तक किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है.
फोनी पश्चिम बंगाल से गुजरते हुए बांग्लादेश की ओर बढ़ा. यहां तूफान से कुछ लोगों के मरने की भी खबरें हैं. तूफान का असर अब बहुत कमजोर हो गया है और इससे हानि की संभावना कम हो गई है.
चक्रवाती तूफान फोनी से सबसे अधिक नुकसान ओडिशा के शहर पुरी को हुआ. यहां के अनेक इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई. पुरी और आसपास के जिलों में बिजली की व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो गई है.
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में छह लोगों के मरने की खबर है. लोगों की मौतें पेड़, मकान और बिजली के खंभों के गिरने के कारण हुई हैं.
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा है कि 24 घंटे के अंदर 12 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि यह मानव इतिहास में सबसे बड़ा बचाव अभियान है.
सीएम नवीन पटनायक ने कहा कि राज्य में राहत और बचाव कार्य में एक लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी, 45 हजार वॉलेंटियर और दो हजार सिविल सोसाइटी ग्रुप ने मदद की. उन्होंने कहा कि पीड़ित के लिए 9 हजार शेल्टर और 7 हजार किचन खाने की व्यवस्था के लिए बनाए गए थे.
फोनी का असर ओडिशा और पश्चिम बंगाल के अलावा आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में भी देखने को मिला. इन राज्यों में बारिश के साथ आंधी चली. यहां किसी बड़े जान माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है.
इस तूफान के बारे में सटीक पूर्वानुमान और बड़े स्तर पर चलाए गए राहत और बचाव कार्य से ओडिशा सहित अन्य राज्यों में भारी नुकसान होने से बचा लिया गया. साइक्लोन फोनी जितना खतरनाक चक्रवाती तूफान भारत में पिछले 52 सालों में 10 बार आया.
भारत में इससे पहले साल 1968, 1976, 1979, 1982, 1997, 1999, 2001 और 2004 में ही ऐसा भयानक चक्रवाती तूफान देखा गया. सामान्यत तौर पर फोनी जितना खतरनाक तूफान मॉनसून के बाद आता है।