खेल डेस्क. मुझे हमेशा लगता था कि फुटबॉल के खेल में घरेलू मैदान पर खेलने का फायदा क्रिकेट के सीमित ओवर के प्रारूप पर कैसे सटीक बैठेगा। खासतौर पर टी-20 क्रिकेट में हालात एक जैसे ही होते हैं। ऐसे में घरेलू लाभ का तथ्य सही नहीं लगता। आईपीएल में इस साल किंग्स इलेवन पंजाब और सनराइजर्स हैदराबाद को भी घर में खेलने का लाभ मिला, लेकिन किसी भी टीम ने इस अवसर को वैसा नहीं भुनाया जैसा कि चेन्नई सुपरकिंग्स ने सात में से छह मैच जीतकर भुनाया।
सभी अच्छी टीमें अपनी ताकत के हिसाब से अपना ढांचा खड़ा करती है। फुटबॉल में बहुत अच्छी तरह से ऐसा ही किया जाता है। चाहे मेसी के साथ बार्सिलोना हो रोनाल्डो के साथ रियल मैड्रिड या फिर हेनरी के साथ आर्सेनल। इन सभी क्लबों में अपने स्टार स्ट्राइकरों को सपोर्ट करने के लिए एक बढ़िया लाइनअप है। इससे न सिर्फ खिलाड़ी बल्कि टीम को भी फायदा होता है। सीएसके की टीम का गठन भी यही देखकर किया गया है कि धोनी क्या चीज करने में माहिर हैं।
धोनी की तुलना नहीं हो सकती
धोनी स्पिन को वैसे ही समझते हैं, जैसे कि एआर रहमान सुर-ताल को। ऐसे ही जैसे इसरो की कोई महिला वैज्ञानिक सेटेलाइट और रॉकेट को। इसके लिए उनकी फ्रेंचाइजी उन्हें वैसी ही पिचें मुहैया कराती है। उनकी फील्ड प्लेसमेंट, कोण, इन हालात में गेंदबाजों का चयन, ये ऐसी बातें हैं, जिनकी अन्य किसी से तुलना नहीं की जा सकती। उन्हें पता है कि पिच पर कितना स्कोर अच्छा है और उस तक पहुंचने के लिए कैसे पारी को गति देनी है।
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